अक्षय तृतीया व्रत (श्री ऋषभदेव-आहार व्रत) भगवान ऋषभदेव ने चैत्र कृष्णा नवमी को प्रयाग में वटवृक्ष के नीचे जैनेश्वरी दीक्षा ली थी। छह माह तक प्रभु ध्यान में लीन रहे, अनंतर आहार की चर्या दिखलाने के लिए भगवान चांद्रीचर्या से आहार हेतु निकले किन्तु उन दिनों किसी को भी नवधाभक्तिपूर्वक आहार देने की विधि मालूम…