जैन धर्म में वर्तमान कालीन 24 तीर्थंकरों के श्रृंखला में यह सातवें तीर्थंकर श्री सुपार्श्वनाथ का विधान है तीर्थंकर श्री सुपार्श्वनाथ में बनारस में पिता सुप्रतिष्ठि एवं माता पृथ्वीषेणा मां से ज्येष्ठ सुदी बारस को जन्म लिया एवं मोक्ष सम्मेद शिखरजी से प्राप्त किया।
जिस प्रकार माला में 108 मणी होती है उसी प्रकार पूज्य गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी ने 108 मंत्र द्वारा भगवान की स्तुति करते हुए विधान की रचना की है उनके गर्दन करणी माता आदि का भी विशेष वर्णन इस विधान में किया है।
इस विधान को करके पुण्य का अर्जुन करें यही मंगल कामना है