दु:खमुक्ति!
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == दु:खमुक्ति : == तस्यैष मार्गो गुरुवृद्धसेवा, विवर्जना बालजनस्य दूरात्। स्वाध्यायैकान्तनिवेशना च, सूत्रार्थसंचिन्तनता धृतिश्च।। —समणसुत्त : २९० गुरु तथा वृद्धजनों की सेवा करना, अज्ञानी लोगों के सम्पर्क से दूर रहना, स्वाध्याय करना, एकान्तवास करना, सूत्र और अर्थ का सम्यक् चिन्तन करना तथा धैर्य रखना—(ये दु:खों से मुक्ति के) उपाय…