राक्षस वंश!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राक्षस वंश – पिद्याधरो का एक वंष, ये न देव होते हे न राक्षस। राक्षस नामक द्वीप के रक्षक होने से राक्षस कहलाये। Raksasa vansa-Name of a dynasty
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राक्षस वंश – पिद्याधरो का एक वंष, ये न देव होते हे न राक्षस। राक्षस नामक द्वीप के रक्षक होने से राक्षस कहलाये। Raksasa vansa-Name of a dynasty
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रसाधिकाम्मोद – रसधिक जाति के मेघ। यं रस की वर्शा करते हैं।उत्सर्पिणी काल में अतिदुशमा काल के अन्त में ये बरसते है जिससे घरती उपजाउ होती है। Rasadhikammoda-A kind of clouds causing juicy raining
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रश्मिवेग – पुश्कलावती के विजयार्ध पर त्रिलोकोत्तम नगर के राजा विद्युतगति का पुत्र था।युवावस्था में दीक्षित हुआ, योग में लीन स्थिति में एक अजगर निगल गया।समाधिपूर्वक मरने से अच्यूत स्वर्ग के पुश्कर विमान मे देव हुअ्रा। Rasmivega-The son of kind Vidyutgati of Trilokottam city situated in Pushkalavati country of Vijayardh mountain
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रश्मिकलाप – एक हार, यह 54 लडियों का होता है। Rasmikalpa- A kind of wreath with 54 strings
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रावण – 8 वा प्रतिनारायण राजा रत्नश्रवा व रानी कैकसी का पुत्र अपरनाम दषानन। यह लंका का राजा था इसकी 18 हजार रानियां थी। जैन धर्म के अनुसार सीता का हरण कर नारायण लक्ष्मण के हाथों मरकर तीसरे नरक गया। Ravana-The 8th Pratinarayan, The son of the king ratnasharva his other name was dashanan
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रात्रियोग – साधुओं का एक कृति कर्म। सायंकालीन प्रतिक्रमण के पष्चात योग भक्तिपूर्वक जैन साधु रात्रियोग धारण करते है।प्रात कालीन सामायिक से पूर्व योग भक्तिपूर्वक ही उसका निश्ठापान करते हैं। Ratriyoga-Meditation activities to be observed by saints during night hours (an austerity)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रूपानुपात – देषव्रत का एक अतिचार।मर्यादा के बाहर काम करने वालो को निजरूपर दिखाकर अपना प्रयोजन बता देना। Rupanupata-making sign for persons beyond the limit, as the morse code with flags etc. (an infraction of Deshvrat)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रूपातीत ध्यान – सिद्ध परमेही का घ्यान करना। Rupatita Dhyana-A type of meditation deep engrossment in the form of Siddha Bhagvan
[[श्रेणी:शब्दकोष]] यशोदेव – यषास्तिलकचम्पू के कत्र्ता सोमदेव के दादा गूरू और नेमिदेव के गुरू। समय ई – 918 – 943। Yasodeva-The writer of Yashastilakchampu
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रूचि – अभिरूचि, प्रेम, तत्वार्थ के विशय में तन्मयपना। Ruci-Interest, devotion, spiritual, Attachment