वानप्रस्थ आश्रम ,!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वानप्रस्थ आश्रम – Vanprastha Asrama. The third progressive spiritual stage of mundane life. धर्म क्रियाओं के भेद से ब्रह्मचर्य, ग्रहस्थ, वानप्रस्थ. संन्यास इन चार आश्रमों में तीसरा भेद ” देखें- वाणप्रस्थ “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वानप्रस्थ आश्रम – Vanprastha Asrama. The third progressive spiritual stage of mundane life. धर्म क्रियाओं के भेद से ब्रह्मचर्य, ग्रहस्थ, वानप्रस्थ. संन्यास इन चार आश्रमों में तीसरा भेद ” देखें- वाणप्रस्थ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सदृश उत्पाद – Sadrsha Utpaada. Unchangeable properties of any matter (even in any kind of production). जैसे परिणमन करती हुई अग्नि उष्ण की उष्ण ही रहती है यह सदृश उत्पाद है ” और आम का फल हरितवर्ण से पीतवर्ण रूप हो जाता है यह असदृश उत्पाद है ” अथवा जीव का ज्ञानरूप परिणाम परिणमन…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सदृश – Sadrsha. Similar, The same, One of the 88 planets. समान, एक जाति के, 88 ग्रहों में 32 वां ग्रह “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सदासुखदास – Sadaasukhadaasa. Name of a writer (a Pandit), who has written commentary of many great Jaina books. जयपुर निवासी एक पंडित ” भगवती आराधना की भाषा वचनिका, समयसार नाटक टीका, तत्त्वार्थ सूत्र की लघु टीका, रत्नकरण्ड श्रावकाचार की टीका, अकलंक स्तोत्र, मृत्यु महोत्सव संस्कृत टीका आदि के कर्ता ” समय- 1795-1866 “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सदार्चन – Sadaarcana. Regular worshipping. पूजा के 4 भेदों में एक भेद ” अपरनाम नित्यमह है, प्रतिदिन की जाने वाली पूजन “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सदवस्था रूप उपशम – Sadavasthaa Roopa Upshama. Karmas to be matured in future. वर्तमान काल को छोड़कर आगामी काल में उदय में आने वाले कर्मों का सत्ता में रहना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सदर चउक – Sadara Chauka. Quartet of particular 4 types of Karmic nature (Tiryanch Gati, Tiryanchgatyanupurvi, Tiryanch Ayu, Udyot). तिर्यंचगति, तिर्यंचगत्यानुपूर्वी, तिर्यंचायु और उद्योत इन 4 कर्म प्रकृतियों को सदर चउक कहते है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सत्संगति – Satsangati. Company of noble persons. सज्जन पुरुषों की संगति ” मनुष्य सज्जन के सहवास से सज्जन एवं दुर्जन के सहवास से दुष्ट बनता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सत्वापसरण – Satvaapasarana. Regression of Karmic nature. कर्म प्रकृतियों का सत्ता में घटना या अपसरण होना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सत्त्व त्रिभंगी – Sattva Tribhangee. Name of a treatise written by Acharya Kanaknandi. आचार्य कनकनंदि (ई. 339) कृत 50 गाथा प्रमाण कर्म विषयक ग्रंथ “