सकल प्रत्यक्ष!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सकल प्रत्यक्ष – Sakala Pratyaksha. The supreme knowledge or omniscience. पारमार्थिक प्रत्यक्ष के दो भेदों में एक भेद; केवलज्ञान सकल प्रत्यक्ष है क्योकिं वह त्रिकाल विषयक समस्त पदार्थों को विषय करने वाला है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सकल प्रत्यक्ष – Sakala Pratyaksha. The supreme knowledge or omniscience. पारमार्थिक प्रत्यक्ष के दो भेदों में एक भेद; केवलज्ञान सकल प्रत्यक्ष है क्योकिं वह त्रिकाल विषयक समस्त पदार्थों को विषय करने वाला है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सकल परमात्मा – Sakala Parmaatmaa. The supreme soul with body (devoid of all Karmas). घातिया कर्मों से रहित परमौदारिक शरीर में स्थित अर्हन्त परमात्मा
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सकलदत्ति – Sakaladatti. Entrusting all responsibilities and wealth to the descendant or heir. दत्ति के 4 भेदों में एक भेद ” अपने वंश की प्रतिष्ठा के लिए पुत्र को कुलपद्धति तथा धन के साथ अपना कुटुम्ब सौंपना सकलदत्ति कहलाता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सकल त्याग – Sakala Tyaaga. Renunciation of all 5 specified kind of sins. हिंसा आदि 5 पापों का सर्वदेश त्याग अर्थात् महाव्रत को पालन करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सकलचारित्र – Sakalachaaritra. Conduct devoid of all attachments & possessions. समस्त प्रकार के परिग्रह से रहित होकर 5 महाव्रतों को धारण करना सकल चारित्र है, यह मुनियों के होता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सकल-जिन – Sakala-Jina. The supreme one, destroyer of all 4 karmas. जो घातिया कर्मों का क्षय कर चुके हैं, ऐसे सशरीरी सकल परमात्मा अर्थात् अरिहंत भगवान “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सकलकीर्ति – Sakalakeerti. The disciple of saint Padmanandi-9 of Nandi group who was the writer of many great treatises. नंदिसंघ बलात्कार गण की ईडर गद्दी पर यह पद्मनंदि नं. 9 के शिष्य तथा भुवनकीर्ति के गुरु थे ” मूलाचार प्रदीप, प्रश्नोत्तर श्रावकाचार, तत्त्वार्थसार सुकुमाल-धन्यकुमार चरित्र आदि अनेक कृतियों के रचयिता ” समय ई. 1422-1442…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सकल – Sakala. The whole, complete, entire, With body. पूर्ण, सर्व, शरीर सहित “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संहार – Sanhaara. Drawing together or contraction of soul points, Destruction. संकोच; जीव के प्रदेशों का शरीर के अनुसार संकुचित होना ” नाश, ध्वंस “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संहनन नामकर्म – Sanhanana Naamakarma. Physique making Karmic nature causing joints of bones in the body (of 6 kinds- strong, weak etc.). जिस कर्म के उदय से हड्डियों का बंधन विशेष होता है ” वज्रऋषभनाराच, वज्रनाराच, नाराच, अर्धनाराच, कीलक और असंप्राप्तसृपाटिका ये संहनन के 6 भेद हैं “