सूक्ष्म निगोद वर्गणा!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूक्ष्म निगोद वर्गणा – Sukshma Nigoda Varganaa. A type of aggregate of Karmic molecules. 23 प्रकार की वर्गणाओं का एक भेद ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूक्ष्म निगोद वर्गणा – Sukshma Nigoda Varganaa. A type of aggregate of Karmic molecules. 23 प्रकार की वर्गणाओं का एक भेद ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुक्ष्म निगोध – Sukshma Nigoda. See- Nigoda Suksma. देखे – निगोध सुक्ष्म ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुक्ष्मत्व गुण – Sukshmatva Guna. One of the 8 virtues of salvated soul obtained by the destruction of physique making Karmas (extremely subtle form). सिद्धो के 8 गुणो में एक गुण, यह नामकर्म के क्षय होने से प्रगट होता है। इन्द्रिय गोचर न होना ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूक्ष्म जीव – Sukshma Jeeva. See- Suksmakaayika Jiva. देखे – सूक्ष्मकायिक जीव।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूक्ष्म क्रियाप्रतिपाती – Sukshma Kriyapratipaatee. The third absolute meditational stat achieved at the end of the 13th stage of spiritual development. तीसरा शुक्लध्यान – यह ध्यान तेरहवें गुणस्थान के अंत में होता है। जिन्होंने द्वितीय शुक्लध्यान के द्वारा 4 घातिया कर्मो का क्षय करके केवलज्ञान प्राप्त कर लिया है तब सब प्रकार के मन…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूक्ष्म कृष्टि – Suksma Krishti. Gradual destruction of Karmas. कर्मो के अनुभाग को घटाकर सूक्ष्म कर देना ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूक्ष्मकायिक जीव – Sukshamakaayika Jeeva. Micro organism, one-sensed beings etc. वे एकेन्द्रिय जीव जो सर्व लोक में व्याप्त हैं एवं जिनकी गति का जल-स्थल आदि के द्वारा प्रतिघात नहीं होता है अर्थात् जो न किसी को रोकते है ओर न किसी से रूकते (बाधित) है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूक्ष्म ऋजुसूत्र नय – Suksama Rijusutra Naya. A standpoint related to the minute acceptance of something. ऋजुसूत्र नय के दो भेदों में एक भेद । जो नय एक समयवर्ती सूक्ष्म अर्थ प्रर्याय (अवस्थायी पर्याय) को ग्रहण करें ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूक्ष्म आलोचना – Sukshma Aalochanaa. An infraction of self criticism, hiding big faults (but exposing little faults). आलोचना का एक अतिचार । छोटे-छोटे दोष कहकर भय, मद कपट आदि के कारण बडे दोष छिपाना ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूक्ष्म – Sukshma. Micro particles or organism (invisible). जे इन्द्रियो के गोचर न हो ऐसे स्कंध जैसे कार्मण वर्गंणाआदि , एकेन्द्रिय जीवों के सूक्ष्म और बादर इन दो भेदों में प्रथम भेद “