विद्या कर्मार्य!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विद्या कर्मार्य – Vidya Karmarya. Noble persons having profession of teaching for their livelihood. गणित शास्त्र, आलेख्य, पठन, पाठन आदि ७२ कलाओं द्वारा आजीविका करने वाले आर्य पुरुष “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विद्या कर्मार्य – Vidya Karmarya. Noble persons having profession of teaching for their livelihood. गणित शास्त्र, आलेख्य, पठन, पाठन आदि ७२ कलाओं द्वारा आजीविका करने वाले आर्य पुरुष “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विद्या – Vidya. Knowledge, the power of exploring realities of some matter. शिक्षा या यथावस्थित वस्तु के स्वरूप का अवलोकन करने की शक्ति “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मीमांसा–Meemansa. Philosophical investigation or examination, Disquisition. अवग्रह के द्वारा ग्रहण किआ अर्थ विशेष रूप से जिसके द्वारा मीमांसित किया जाता है अर्थात विचार जाता है वेह मीमांसा होता है”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विद्यमान बीस तीर्थकर – Vidyamana Bisa Tirthamkara. The 20 Tirthankaras (Jaina-Lords) situated in videh Kshetra (region). ५ मेरु संबंधी ५ विदेह क्षेत्रों में बीस तीर्थकर सतत् विद्यमान रहते हैं, उनके नाम – सीमंधर, युगमन्धर, बाहु, सुबाहु, संजात, स्वयंप्रभ, ऋषभानन, अनंतवीर्य, सुरिप्रभ, विशालप्रभ, व्रजधर, चन्द्रबाहु, भुजंगम, ईश्वर, नेमिप्रभ, वीरसेन, महाभद्र, देवयश, अजितवीर्य “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विध्दण (कवि) – Viddhanu (Kavi). Name of a poet. ज्ञानपंचमी अर्थात् श्रुत पंचमीव्रत माहात्म्य नामक भाषा छंद रचना के कर्ता एक कवि ” समय –वि. सं. १४२३ “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विद्दावण – Viddavana. Rending or splitting the body organs of beings for trade. प्राणियों के छेदन आदि का व्यापार विद्दावण कहलाता है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विदेह क्षेत्र – Videhaksetra. Specified 5 regions of middle universe compris- ing 1 in Jambudvip, 2 in Dhatkikhand & 2 in Pushkarardh where Dushma-Sushma Kal (un-happy-cum-happy period ) is prevailing there all the time. जम्बूद्वीप का चौथा क्षेत्र, जो सुमेरु पर्वत द्वारा पूर्व व पशिचम दो भागों में विभक्त है – जम्बूद्वीप…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शीलव्रत – Sheelavrata. A particular vow (fasting) to be observed with particular procedure. वैशाख शुक्ला 6 के दिन (भगवान अभिनंदन का मोक्ष कल्याणक दिवस) 5 वर्ष पर्यत उपवास करना एवं ‘ओं हीं अभिनंदनजिनाय नमः’ का त्रिकाल जाप करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शीलपाहुड – Sheelapaahuda. Name of a great treatise written by Acharya Kundkund आचार्य कुन्दकुन्द (ई. 127-179) कृत ज्ञान व चारित्र का समवन्यात्मक 40 प्राकृत गाथा निबद्ध ग्रंथ “