शास्त्रार्थ!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शास्त्रार्थ – Shaastraartha. Religious interpretation or a doctrinal debate. वाद, धर्म प्रभावना के अर्थ में किया जाने वाला वाद “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शास्त्रार्थ – Shaastraartha. Religious interpretation or a doctrinal debate. वाद, धर्म प्रभावना के अर्थ में किया जाने वाला वाद “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शास्त्राध्ययन – Shaastraadhyayana. Study of the scriptures and thinking over it. जिनागम का अभ्यास, पठन-पाठन करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शास्त्रसार समुच्चय – Shaastrasaara Smuchchaya. Name of a book written by Maghnandi Yogindra. माघनंदि योगीन्द्र (ई. श. 12 उत्तरार्द्ध) कृत 196 संस्कृत सूत्र प्रमाण सिद्धांत ग्रंथ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शास्त्र पठन – Shaastra Pathana. The study of scriptures and thinking over it. स्वाध्याय या आगम शास्त्रों का अध्ययन करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शास्त्रदान – Shaastradaana. A type of donation-providing scriptures or scriptural knowledge. दान का एक भेद (ज्ञान दान)-सत्पुरुषों का उपकार करने की इच्छा से शास्त्र का व्याख्यान करना या पठन सामग्री देना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शास्त्र तात्पर्य – Shaastra Taatparya. Scriptural meanings. सूत्र के दो भेदों में एक भेद; परमार्थ से साक्षात मोक्ष के कारणभूत वीतरागपना या भेद ज्ञान ही शास्त्र तात्पर्य है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शास्त्रज्ञान – Shaastragyaana. Scriptural knowledge. आगन ज्ञान “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शास्त्र – Shaastra. Scriptures, Religious treatises. आगम ग्रंथ, जो परम्परा से सर्वज्ञ वीतराग आप्त का कहा हो एवं प्रत्यक्ष व परोक्ष प्रमाण से बाधा रहित हो “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शासन देव – Shaasana Dieva. Ruling deities of 24 tirthankars. चौबीस तीर्थंकर भगवंतों के चौबीस शासन देव ” तिलोयण्णत्ति के अनुसार ये सभी शासन देव संबंधित तीर्थंकरों के समवसरण में रहते हैं अतः ये सम्यग्दृष्टि होते हैं” आचार्य पूज्यवाद स्वामी ने इनके लिए अर्ध्य बनाए हैं एवं अनेक प्राचीन ग्रंथों में इनके अर्ध्य के…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शासन दिवस – Shaasana Divasa. ‘Veer shasan jayanti’, celebration of first sermon day of Lord Mahavir. वीर शासन जयंती अर्थात श्रावण कृष्ण प्रतिप्रदा का दिन, जब विपुलाचल पर्वत (राजगृही) पर केवलज्ञान होने के 66 दिन बाद प्रथम बार भगवान महावर की दिव्य ध्वनी खिरी थी “