सादि बंध!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सादि बंध – Saadi Bandha. Rebinding of karmas. जिस कर्म प्रकृति के बन्ध का अभाव होकर पुनः बन्ध होता है वह सादिबन्धी प्रकृति कहलाती है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सादि बंध – Saadi Bandha. Rebinding of karmas. जिस कर्म प्रकृति के बन्ध का अभाव होकर पुनः बन्ध होता है वह सादिबन्धी प्रकृति कहलाती है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सादि नित्य पर्यायार्थिक नय – Saadi Nitya paryaayaarthika Naya. . a standpoint believing the existence of supreme soul. पर्यायार्थिक नय के 6 भेदो मे एक भेद। (परम भाव ग्राहक) शुद्व निश्चयनय को गौण करके, सम्पूर्ण कर्मों के क्षय से उत्पन्न तथा चरम शरीर के आकार रुप पर्याय से परिणत जो शुद्व सिद्व पर्याय है,…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सात्विक दान – Saatvika Daana. Right donation. जिस दान से अतिथि का हित हो, जिसमे सुपात्र का निरीक्षण स्वयं दाता के द्वारा किया गया हो और दाता मे श्रद्वा आदि समस्तगुण हो वह सात्तिव-दान है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सात्यकिपुत्र – Saatyakiputra. The 11th Rudra, the soul of predestined 24th Tirthankara (Jaina-Lord). 11 वें रुद्र, भाविकालीन 24 वे तीर्थकर का जीव।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सातिशय मिथ्यादृष्टि – Saatisaya Mithyaadrsti. Wrong believers who are going to attain right belief. प्रथमोपशम सम्यक्तव के अभिमुख जीव सातिशय मिथ्यादृष्टि कहलाते है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सातिशय केवली – Saatisaya Kevale. A type of omniscient one. तीर्थकर प्रकृति रहित, 25 अतिशयो (केवलज्ञान, 14 देवकृत, 1 वज्रवृषभनाराच संहन), 4 प्रातिहार्य (छत्र, सिंहासन, भामंडल, दिव्यध्वनि), गन्धकुटी व अनन्त चतुष्टष् सहित सातिशय केवली होते है। अर्थात् अतिशय युक्त केवली को सातिशय केवली कहते है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सातिशय अप्रमत्त – Saatisaya Apramatta. Saints rising on the 2nd substage of the 7th stage of spiritual development. अप्रमत्त संयत के दो भेदो मे एक भेद। जो साधु उपशम या क्षपक श्रेणी चढ़ने के सम्मुख है वे सातिशय अप्रमत्त संयत कहलाते है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सातिप्रयोग – Saatiprayoga. A type of illusion, wrong practices of telling lie for money, embezzlement etc. माया के 5 भेदो मे एक भेद, धन के विषय मे असत्य बोलना, किसी की धरोहर का कुछ भाग हरण कर लेना, दूषण लगाना अथवा झूठी प्रषंसा करना सातिप्रयोग माया है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] साता वेदनीय – Saata Vedaneeya. Pleasure giving karmas. वेदनीय कर्म के दो भेदो मे एक भेद। जिस कर्म के उदय से जीव को इन्द्रिय और मन सम्बन्धी सुख की प्राप्ति होती है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] साता – Saataa. Pleasure, bliss, merriment. सुख अर्थात् साता रुप आत्मा का परिणाम।