हिमवान् (पर्वत)!
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हिमवान् (पर्वत) – Himavaan (Parvata). Name of the first Kulachal mountain among 6 of jambudvip (island). जम्बूद्वीप के 7 कुलाचलों मे प्रथम कुलाचल, इसकी ऊॅचाई 100 योजन हैं।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हिमवान् (पर्वत) – Himavaan (Parvata). Name of the first Kulachal mountain among 6 of jambudvip (island). जम्बूद्वीप के 7 कुलाचलों मे प्रथम कुलाचल, इसकी ऊॅचाई 100 योजन हैं।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हिमनाष – Himanaasa. Deformation of ice, cause of asceticism of Lord Shitalnath. बर्फ का पिधल जाना (यह तीर्थकर शीतलनाथ की वैराग्य उत्पत्ति का कारण था)।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हिमगिरि – Himagiri. A mountain covered with ice. बर्फ से ढका पर्वत। जैसे-हिमालय पर्वत।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हिम – Hima. Snow or ice, name of a summit of Nandan forest, name of the first Patal (layer) of the 6th hell. बर्फ, नंदन वन का एक कूट, ष्सष्टम नरक का प्रथम पटल।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] हितोपदेश – Hitopadesa. Benevolent speech, spiritual preaching. जिस धर्म उपदेष के द्वारा प्राणीमात्र का हित होता है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हितकारक वचन – Hitakaaraka Vacana. Benevolent speech or speech pertaining to well-being. दूसरो को क्लेश पहुॅचाने वाले वचनों को छोड़कर अपने और दूसरे के हित (कल्याण) करने वाले वचन।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हित – Hita. Benevolence, welfare, well-being. भला, कल्याण, जो मोक्षपद की प्राप्ति रुप प्रधान या मुख्य फल मिलता है उसको हित कहते है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हिंजरी संवत् – Hijarii Sammvat. The muslim era. इस संवत् का प्रचार मुसलमानो मे है, क्योकि यह उनके पैगम्बर मुहम्मद साहब के मक्का मदीना जाने के समय से उनकी हिजरत मे विक्रय संवत् 650 मे अर्थात् वीर निर्वाण के 1120 वर्ष पश्चात् स्थापित हुआ था। इसी को मुहर्रम या शाबान सन् भी कहते हैं।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हिंसा यज्ञ – Himmsaa Yaggay violenceful sacrificial rite. पशु या मनुष्यों की जिसमे आहुति दी जाये ऐसा हिंसक यज्ञ। तीर्थकर मुनिसुव्रतनाथ के तीर्थ मे सगर राजा से द्वेष रखने वाला एक महाकाल नाम का एक असुर हुआ था, उस अद्वानी ने इस हिंसायज्ञ का उपदेष दिया था।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हिंसानंदी – Himmsaanammdi. A wicked concentration-to involve in violenceful activities with interest. रौद्रध्यान के चार भेदो मे एक भेद-तीव्र कषाय के वषीभूत होकर जीवसमूह को स्वंय मारने मे या दूसरे के द्वारा मारे जाने मे हर्षित होना और सदा हिंसा के कार्यों मे मन लगाये रखना हिंसौनंदी रौद्रध्यान है।