प्रायश्चित!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रायश्चित – प्रतिसमय लगने वाले अंतरंग व बाह्य दोशों की निवृति करके अंतर्षोधन करने के लिए गुरु के समक्ष किया गया पष्चाताप। Prayascitta- Expiation, Repentance, Atonement, penitence
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रायश्चित – प्रतिसमय लगने वाले अंतरंग व बाह्य दोशों की निवृति करके अंतर्षोधन करने के लिए गुरु के समक्ष किया गया पष्चाताप। Prayascitta- Expiation, Repentance, Atonement, penitence
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रामाण्य भंग- आचार्य अनन्तकीर्ति (ई.श. 8 मध्यपाद) द्वारा रचित एक ग्रंथ। PramanyaBhanga- A book written by acharyaAnantkriti
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रामाण्य- प्रामाणिकता; प्रमाण का कर्म प्रमाण्य कहलाता है वह पदार्थ के निष्चय करने रुप लक्षण वाला होता है। Pramanya- Authenticity, authority
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राभृत समास- श्रुतज्ञान के 20 भेदों में 16 वाँ भेद, प्राभृत श्रुतज्ञान में एक अक्षर के बढनें से यह ज्ञान होता है। PrabhrtaPrabhrtaSamasa- A type of Scriptural Knowledge (shrutgyan)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राभृतप्राभृत- श्रुतज्ञान के 20 भेदों में 13 वाँ भेद, यह ज्ञान अनुयोग समास ज्ञान में एक अक्षररुप श्रुतज्ञान की वृद्धि होने से होता है। PrabhrtaPrabhrta- A type of Scriptural Knowledge (shrutgyan)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राभृत- जो प्रकृश्ट अर्थात् तीर्थकर के द्वारा आमृत अर्थात् प्रस्थापित किया गया है वह प्राभृत है। समय प्राभृत या षट् प्राभृत आदि नाम के ग्रंथ। श्रुतज्ञान के 20 भेदों में 15 वाँ भेद; यह ज्ञान प्राभृत-प्राभृत समास में एक अक्षररुप श्रुतज्ञान की वृद्धि होने से होता है। Prabhrta- A type of Scriptural Knowledge (shrutgyan)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रात्यकारी इन्द्रियाँ- जो इन्द्रियां पदार्थ को स्पृश्ट और बद्ध होकर जानती है वह प्राप्यकारी कहलाती है। जैसे-स्पर्षन, रसना, ध्राण एवं श्रोत्र इन्द्रियाँ। मात्र चक्षु इन्द्रिय आप्राप्यकारी होती है। PrapyakariIndriyan- Senses causing cognizance with actual experience concerning the particular subject
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राप्य कर्म- कर्ता के द्वारा बिना किसी विकार आदि के पदार्थ की प्राप्ति करना। Prapya Karma- Easily attainment of object
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राधान्य पद- उपक्रम का एक भेद; बहुत से पदार्थो के होने पर भी किसी एक पदार्थ की बहुलता आदि द्वारा प्राप्त हुई प्रधानता से बोले जाने वाला नाम। जैसे- आग्रवन, निम्नवन इत्यदि। Pradhanyapada-A type of Upakrama( a type of persuasion) dominant name or thing
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रदोषिकी क्रिया- आस्त्रव की एक क्रिया; क्रोध के आवेषा से अथवा दुश्ट मन-वचन-काय से होने वाली क्रिया। PradosikiKriya- Enraging activity; Faulty coduct of mind, speech & body