स्थिति धात!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिति धात – Sthiti Ghaata. Destruction of karmic time duration.अवकर्षण। आयु को छोड़कर शेष कर्मों का अनुभाग के बिना भी स्थितिधात होता है और आयु को छोड़कर शेष कर्मों का स्थितिधात के बिना भी अनुभागधात होता है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिति धात – Sthiti Ghaata. Destruction of karmic time duration.अवकर्षण। आयु को छोड़कर शेष कर्मों का अनुभाग के बिना भी स्थितिधात होता है और आयु को छोड़कर शेष कर्मों का स्थितिधात के बिना भी अनुभागधात होता है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिति खंड – Sthiti Khamda. Destruction of Karmic binding with soul.ऊपर के कर्म निषेको को नीचे के निषेकरुप परिणमा कर स्थिति को धटाना।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिति क्षय -Sthitiksaya. Destruction of Karmic statesकर्मों की स्थिति का धात होना।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिति कांडक धात – Sthiti Kamdaka Ghaata. A type of destruction of karmic states.विवक्षित स्थिति समूह का धात करना स्थिति काण्डकधात है। यह एक अन्तर्मुहूर्त मे निष्पन्न होता है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थितिकल्प – Sthitikalpa. Ten types of code of conduct for a saint.व्यव्हार साधु के 10 स्थ्तििकल्प है। अचेलकत्व, उदिष्ट भोजन का त्याग, शरूयाधरपिंडत्याग, वसतिका बनवाने या सुधरवाने वाले के द्वारा दिये जाने वाले आहार एवं उपकरण का त्याग, राजपिंड का त्याग, कृतिकर्म अर्थात् साधुओ की विनय शुश्रूसा आदि करना, व्रत का जिसे स्वरुप मालूम…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थितिकरण – Sthitikarana. Re-steadiness of one in religion (a part of right perception).सम्यग्दर्षन के 8 अंगो मे एक अंग। धर्म से विचलित होते हुए जीवो को या स्वंय को धर्म मे पुनः दृढ़ करना स्थितिकरण अंग है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिति अपसरण – Sthiti Apasarana. Reduction in duration of bound Karmas.कर्मों की स्थिति का क्रम से धटना।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिति – Sthiti. Situation, circumstances karmic state (reg. duration of karmas).ठहरना, कर्मों के अवस्थान काल का नाम स्थिति है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थावर शरीर नामकर्म प्रकृति – Sthaavara sariira Naamakarma prakrti. Physique making karmic nature causing birth as one-sensed being.जिसके उदय से एकेन्द्रियो मे उत्पत्ति होती है वह स्थावर नामकर्म प्रकृति है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थावर दषक – Sthaavara Dasaka. Particular ten type of karmic natures related to immobile beings.स्थावर, सूक्ष्म, अपर्याप्त, साधारण, अस्थिर, अशुभ, दुर्भग, दुःस्वर, अनादेय, अयशःकीर्ति ये नामकर्म की 10 प्रकृतियाॅ स्थावर दषक कहलाती है।