सम्यक्तवाराधना!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्यक्तवाराधना – Samyaktvaaraadhanaa. Enlightenment of right faith. आराधना के दो भेद (सम्यक्तवाराधना और चारित्राराधना) मे प्रथम भेद, सम्यग्दर्षन का यथायोग्य रीति से उद्योतन करना।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्यक्तवाराधना – Samyaktvaaraadhanaa. Enlightenment of right faith. आराधना के दो भेद (सम्यक्तवाराधना और चारित्राराधना) मे प्रथम भेद, सम्यग्दर्षन का यथायोग्य रीति से उद्योतन करना।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्यक्त्वाचरण – Samyaktvaacharana. Right faith with auspicious activities. सच्चे देव, शास्त्र व गुरु की पूजा भक्ति आदि करना। सम्यकत्व के साथ पुण्यमयी आचरण को चारित्रपाहड़ मे सम्यक्त्वाचरण के नाम से कहा है। इसको देशमय रुप चारित्र नही समझना चाहिए।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्यक्त्व प्रकृति – Samyaktva Prakrti. A karmic nature causing obstacle in right faith (faith deluding karma). दर्शन मोह की तीसरी प्रकृति, जिसके उदय से क्षयोपशम सम्यक्दर्षन मे चल, मलिन, अगाढ़ दोष उत्पन्न हो अर्थात् निर्मल न रहे।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्यक्तव – Samyaktva. Right faith or right belief. प्रमाण के द्वारा जाने हुए तत्वो का श्रद्वान। देखे- सम्यग्दर्शन।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्यक्तव उद्योतन – Samyaktva Udyotana. Right enlightenment. सम्यक्तवाराधना। शंकादि दोषो से रहित निर्दोष सम्यग्दर्षन की प्राप्ति होना।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्यक्तवकौमुदी – Samyaktvakaumudee. Name of a treatise written by Acharya Shubhchandra. आचार्य शुभचन्द्र (ई. 1516-1556) द्वारा रचित एक आध्यात्मिक ग्रंथ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्यक्तव क्रिया – Samyaktva Kriyaa. Worshipping the Jaina Lord, scriptures & saints. साम्परायिक आस्त्रव की 25 क्रियाओ मे पहली क्रिया। सच्चे देव शास्त्र गुरु की पूजा-भक्ति आदि करना। इससे सम्यक्तव की प्राप्ति और पुण्यबंध होता है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थविर कल्पी – Sthavira Kalpii. One observing asceticism under the guidance of senior Acharya (saint).जो साधु एकलविहारी नही हो सकते है एवं स्थविर कल्प मे स्थिर रहते है वे स्थविर कल्पी कहलाते है। उत्तम संहनन वाला, परिषह विजयी, सिद्वान्त का ज्ञाता तपस्वी ही एकलविहारी अर्थात् जिनकल्पी होता है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थविर कल्प – Sthavira Kalpa. Code of conduct of Jana saint.समस्त वस्त्र आदि परिग्रह का त्याग करके दिगम्बर होना। 13 प्रकार के चारित्र व 28 मूलगुणो को धारण करना, हीन संहनन होने के कारण नगर आदि मे विहार करना, चारित्र भंग न हो ऐसे उपकरणो को रखना, षिष्यो का पालन करना यह सब हीन…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थलगता चूलिका – Sthalagataa Cuulikaa. A geat scriptural part of Drishtivad Anga.दृष्टिवाद अंग के अन्तर्गत चूलिका के 5 भेदो मे एक भेद। इसमे दो करोड़ 9 लाख 89 हजार दो सौ पद है। इसमे पृथिवी के भीतर गमन करने के कारणभूत मंत्र तंत्र और तपश्चरण व वास्तुविद्या तथा भूमि सम्बन्धी अन्य शुभश्षुभ लक्ष्णो का…