भाववचन!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाववचन – Bhavavachan. Volitional speech. वचन; जो वीर्यान्तराय और मतिज्ञानावरण तथा श्रुतज्ञानावरण कर्मों के क्षयोपशम और अंगोपांग नामकर्म के निमित्त से होता है ” यह पौद्गलिक होता है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाववचन – Bhavavachan. Volitional speech. वचन; जो वीर्यान्तराय और मतिज्ञानावरण तथा श्रुतज्ञानावरण कर्मों के क्षयोपशम और अंगोपांग नामकर्म के निमित्त से होता है ” यह पौद्गलिक होता है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव लोभ विवेक – Bhava Lobha Viveka. Wisdom of abstinence from delusion or greed. यह मेरा है’ इस तरह की मोह्जन्य परिणति को न होने देना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव लोकोत्तर मान – Bhava Lokottara Mana. Extent of knowledge (Nigod to Supreme state). जघन्य से उत्क्रष्ट अवस्था तक का ज्ञान जिससे मापा जाय अर्थात् लब्ध्य-पर्याप्तक सूक्ष्म निगोदिया जीव के जघन्य पर्याय श्रुतज्ञान से लेकर अर्हतों के उत्क्रष्ट केवलज्ञान तक का प्रमाण “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव लेश्या – Bhava Lesya. Volitional aura. कषाय से अनुरंजित योग की प्रव्रत्ति होना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावलिंगीमुनि – Bhavalingimuni. A saint with real nature & attributes. अपने मुनिरूप बाहरी चारित्र के अनुसार भावों को रखनेवाला मुनि “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावलिंग (साधु) – Bhavalinga (Sadhu). An absolute saint with perfect conduct. साधु का जैसा बाहर चारित्र है वैसा ही भाव होना ” प्रमत्त- अप्रमत्त गुणस्थान सम्बन्धी भाव होना ही भावलिंग है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावलिंग (वेद) – Bhavalinga (Veda). Thoughts due to partial passion. जिसकी स्तिति नोकषाय के उदय से प्राप्त होती है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावयोग – Bhavayoga. Subjective (psychical) vibration. मन वचन काय से संयुक्त संसारी जीव के अंगोपांग व शरीर नाम कर्म के उदय से जीव की वह शक्ति जो कर्म व नोकर्म को ग्रहण करती है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावयुति – Bhavayuti. Psychical worldly attachments. क्रोध, मान, माया और लोभादिक के साथ जीवादि द्रव्यों का मिलाप होना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव मोक्ष – Bhava Moksa. Psychical salvation. आत्मा का वह शुद्ध भाव जिससे सर्व कर्म झड़ जाये व आत्मा कर्म बंधन रहित अर्थात् मुक्त हो जावे “