भगदत्त!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भगदत्त – Bhagadatta. Name of a chief disciple of Lord Rishabhadev. भगवान ऋषभदेव के एक गणधर का नाम “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भगदत्त – Bhagadatta. Name of a chief disciple of Lord Rishabhadev. भगवान ऋषभदेव के एक गणधर का नाम “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोक्षेत्र – Nokshetra. All 5 entities rather than ‘Sky’. आकाश द्रव्य के अतिरिक्त जीव, पुदगल, धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय तथा काल द्रव्य नोक्षेत्र कहलाते है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोकेवल – Nokevala. Nine kinds of destructional volitions. क्षायिक भाव; केवलदर्शन, केवलज्ञान, क्षायिकदान, लाभ, भोग, उपभोग, वीर्य, क्षायिक सम्यक्त्व-चारित्र “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोकषाय – Nokashaaya. Subsidiary passion, Quasi passion. ईषत् अर्थात् किंचित् अर्थ में ‘नञ्’ का प्रयोग होने से किंचित् कषाय को अकषाय यो नोकषाय कहते है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भक्ष्याभक्ष्य – Bhaksyabhaksya. Different types of edible (vegitable) and non- edible (non-vegitable) items. दाल, दूध, दही, फल आदि भक्ष्य अर्थात् खाने योग्य एंव मघ, मांस, मधु, उदुम्बर फल आदि अभक्ष्य अर्थात् ‘नहीं खाने योग्य’ पदार्थ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोकर्माहार – Nokarmaahaara. See – Nokarma Aahaara. देखें – नोकर्म आहार “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भक्ति (नवधा) – Bhakti (Navadha). A procedural food offering to Jaina saints (see-Navadha Bhakti), A virtue of food –doner. विधि से अर्थात दाता के सात गुण सहित क्रिया के द्वारा नवधा भक्तिपूर्वक दिगम्बर जैन साधुओं को आहार देना (देखें –नवधा भक्ति) ” आहारदाता के ७ गुणों में एक गुण; पात्र के प्रति…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोकर्म वर्गणा – Nokarma Varganaa. 19 Varganas out of 23 excluding Karmamn, Bhasha, Mano & Tejas. कुल 23 वर्गणाओं में से कार्मण, भाषा, मनो, तैजस इन 4 को छोड़कर 19 वर्गणाएं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भक्ति – Bhakti. Eulogical devotion for Lord. अर्हत आदि के गुणों में अनुराग रखना भक्ति है अथवा निज परमात्म तत्त्व के सम्यक् श्रध्दान – अवबोध – आचरण स्वरूप शुद्ध रत्नत्रय परिणामों में अनुरक्त रहना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भक्तामर स्तोत्र – Bhaktamara Stotra. A great spiritual hymn written by Acharya Mantung on Lord Adinath. आचर्य मानतुंग (ई.श. ७ पूर्व) द्वारा संस्क्रत में रचित आदिनाथ भगवान का स्तोत्र ” इसमें ४८ काव्य हैं ” इस स्तोत्र के प्रभाव से उनकी बेड़ियाँ स्वयं टूट गई थीं “