नोकर्म नारकी!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोकर्म नारकी – Nokarma Naarakee. Nokarma dravyas causing hellish realm. पाश, पंजर, यंत्र आदि नोकर्म द्रव्य जो नारकभाव की उत्पत्ति में कारण भूत होते है, नोकर्म द्रव्य नारकी हैं
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोकर्म नारकी – Nokarma Naarakee. Nokarma dravyas causing hellish realm. पाश, पंजर, यंत्र आदि नोकर्म द्रव्य जो नारकभाव की उत्पत्ति में कारण भूत होते है, नोकर्म द्रव्य नारकी हैं
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भक्तामर विधान – Bhakramara Vidhana. A worshipping book of Bhaktamar Stotra. एक पूजा विशेष जिसमें भक्तामर स्तोत्र के ४८ काव्य पढ़कर ४८ अधर्य चढ़ाते हुए भगवान आदिनाथ की पूजा की जाती है ” इसकी रचना गणिनी ज्ञानमती माताजी की शिष्या आर्यिका श्री चंदनामति माताजी के द्वारा की गई है ” अन्य लेखकों…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भक्तामर कथा – Bhaktamara Katha. Name of tales written by Pandit Raymallaji and Jaichand Chhabda. पं. रायमल्ल (ई. १६१०) एंव पं. जयचन्द छाबड़ा (ई. १८१३) द्वारा रचित कथा “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोकर्म द्रव्य कर्म – Nokarma Dravya Karma. External substances causing some results by Karmic fruition. कर्म प्रकृति के उदय फलस्वरूप जो कार्य हो उस कार्य के लिए जो बाहरी वस्तु कारण भूत हो वह वस्तु प्रकृति का नोकर्म द्रव्य कर्म है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भक्तप्रत्याख्यान – Bhaktapratyakhyana. Abandonment of food gradually for an auspl-cious & holy death. समाधिमरण; जिसमें शास्त्रोक्त विधि से क्रमशः आहार का त्याग किया जाता है इसका जघन्य काल अन्तंर्महूर्त एंव उत्क्रष्टकाल १२ वर्ष है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोकर्म तद्व्यतिरिक्त – Nokarma Tadvyatirikta. External causes for the state of any particular karmas. निक्षेप- किसी कर्म की अवस्था के लिये जो बाहरी कारण हो जैसे, क्षयोपशम रूप मतिज्ञान के लिए पुस्तक अभ्यास आदि “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भक्त प्रतिज्ञा – Bhakta Pratijna. Gradual food renunciation (as a vow). समाधिमरण; अनुक्रम के अनुसार भोजन आदि त्याग की प्रतिज्ञा करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोकर्म आहार – Nokarma Aahaara. Intake of Nokarma Varganas cousing formation of gross body. शरीर निर्माण के निमित्तभूत नोकर्म वर्गंणाओ का आना ‘नोकर्म आहार कहलाता है ” यह समस्त सांसारिक प्राणियों के तो होता ही है तथा केवली भगवान के भी पर्मौदारिक शरीर के निमित्त से नोकर्माहार मन गया है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भक्तपान संयोजना – Bhaktapana Samyojana. Mixing of edibles (reg. green veg. & sterilized material). अजीवाधिकरण का एक भेद; सचित और अचित खानपान को एक दूसरे में मिलाना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोकर्म – Nokarma. Grossbody etc. are called Nokarma. नामकर्म के उदय से प्राप्त होने वाला औदारिक आदि शरीर जो जीव के सुख में निमित्त बनता है वह नोकर्म कहलाता है “