त्रुटरेणु!
त्रुटरेणु An area unit. क्षेत्र का प्रमाण विशेष, आठ संज्ञा- संज्ञाओं (सन्नासन्न) का एक त्रुटरेणु। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्रुटरेणु An area unit. क्षेत्र का प्रमाण विशेष, आठ संज्ञा- संज्ञाओं (सन्नासन्न) का एक त्रुटरेणु। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्रींदिय जाति नामकर्म प्रकृति A karmic nature causing birth in Tiryanch destination. जिसके उदय से स्पर्शन , रसना , घ्राणा इन तीन इन्द्रियधारी तिर्यंचों में जन्म हो। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्रींद्रिय Living beings having three sense organs. जीव जिनके स्पर्शन , रसना और घ्राण इन तीन इन्द्रियधारी तिर्यंचों में जन्म हो। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्रिसंयोगीस्थान प्ररूपणा Particular representation of different karmic nature. कर्म प्रकृतियों का उदय आदि की अपेक्षा विशेष निरुपण। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्रिषष्ठिस्मृतिशास्त्र A book written by Pandit Ashadharji. पं. आशाधर जी (ई. 1173-1243) द्वारा रचित एक संस्कृत ग्रंथ। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्रिषष्ठि शलाका पुरूष चरित्र Name of books written by Chamundraya and Shvetamdaracharya Hemchandra seperately. चामुण्डराय (ई.श. 10-11) एवं श्वेताम्बराचार्य हेमचन्द्र (ई.1088-1173) द्वारा रचित ग्रंथों का नाम। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्रिषष्ठि शलाका पुरूष Sixty three great personages (who attain salvation through any birth). 24 तीर्थंकर + 12 चक्रवर्ती +9 नारायण +9 प्रतिनारायण +9 बलभद्र ये 63 महापुरूष 63 शलाकापुरूष कहलाते है। प्रथमानुयोग के ग्रंथों में इनका वर्णन पाया जाता है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्रिषष्टि कर्म प्रकृति Sixty three types of Karmic nature (which are destroyed by Lord Arihant). 63 कर्म प्रकृतियां ,जिनके नाश से अरहंत परमेष्ठी होते है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्रिवेदसिद्ध Beings salvated from all genders (in accordance with Bhavved). भाववेद की अपेक्षा जो तीनों वेदों से सिद्ध होते हैं त्रिवेदसिद्ध कहलाते है । द्रव्य से पुरूष वेदी, भाव से स्त्री वेदी एंव नपुंसक वेदी भी सिद्ध पद को प्राप्त कर सकते है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्रिवेद The three Vedas, classification of three genders. स्त्री वेद, पुरूष वेद, नपुंसक वेद। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]