दर्शन (षड्)!
दर्शन (षड्) ६ दर्शन; जैन, बौद्ध, नैयायिक, सांख्य, वैशेषिक, वेदांत ।[[श्रेणी:शब्दकोष]] Six philosophies- Jaina, Bauddha, Naiyayika, Sankhya,Vedanta and Vaisheshik. 6 दर्शन जैन, बौद्ध, नैयायिक, सांख्य, वैशेषिक, वेदांत।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
दर्शन (षड्) ६ दर्शन; जैन, बौद्ध, नैयायिक, सांख्य, वैशेषिक, वेदांत ।[[श्रेणी:शब्दकोष]] Six philosophies- Jaina, Bauddha, Naiyayika, Sankhya,Vedanta and Vaisheshik. 6 दर्शन जैन, बौद्ध, नैयायिक, सांख्य, वैशेषिक, वेदांत।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
दर्शन (उपयोग) Functional consciousness of conation vision attention. उपयोग का एक भेद , यह पदार्थ को सामान्य, अनाकार (निर्विकल्प) रूप से ग्रहण करता है, इसके चार भेद हैं (चक्षु, अचक्षु, अवधि, केवल)। [[श्रेणी: शब्दकोष ]] उपयोग का एक भेद; यह पदार्थ को सामान्य, अनाकार (निर्विकल्प) रूप से ग्रहण करता है, इसके ४ भेद हैं (चक्षु,…
गणधर Chief disciple (Gandhar) of Teerthankar (Jaina lord). तीर्थंकर के प्रमुख शिष्य इनके अन्य नाम गणी, गणीश ,गणपति ,गणेश आदि भी हैं। ये समस्त श्रुत के पारगामी, सातों ऋद्धियों के धारक, मुनियों के स्वामी एवं चार ज्ञानधारी होते हैं। [[महावीर स्वामी के गणधर]] [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] परमाणु-जो अत्यन्त तीक्ष्ण शस्त्र से भी छेदा या भेदा नहीं जा सकता,तथा जल और अग्नि आदि के द्वारा नाश को प्राप्त नहीं होता,वह परमाणु है”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निदान-भोगों की तृष्णा से पीडित होकर रातदिन आगामी भोगों को प्राप्त करने की ही चिन्ता करते रहना निदानज नामक आर्त्तध्यान है”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] अनिष्टसंयोगज-विष,कांटा,शत्रु आदि अप्रिय वस्तु का संयोग होने पर उससे पीछा छुड़ाने के लिये बार-बार विचार अनिष्टसंयोगज आर्त्तध्यान है”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रशमभाव-पंचेन्द्रियों के विषयों में शिथिल मन का होना ही प्रशम भाव कहलाता है”