हिंसा :!
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == हिंसा : == न हि तद्घातनिमित्तो, बन्धो सूक्ष्मोऽपि देशित: समये। मूच्र्छा परिग्रह: इति च, अध्यात्मप्रमादतो भणित:।। —समणसुत्त : ३९२ जैसे अध्यात्म (शास्त्र) में मूच्र्छा को ही परिग्रह कहा गया है, वैसे ही उसमें प्रमाद को हिंसा कहा गया है। एदे पंचपओगा किरियाओ होंति हिंसाओ। —भगवती आराधना : ८०७…