इसमें तीन कथानक लघु नाटिकाओं के रूप में प्रस्तुत किये गए हैं | १- दृढसूर्य चोर एवं णमोकार महामंत्र का प्रभाव, २- अहिंसा की पूजा { यमपाल चांडाल की दृढ प्रतिज्ञा } ३- सती चंदना | इसको पढ़ने से आगम के अनुसार सारा कथानक ज्ञात होकर तत्संबंधित शिक्षा प्राप्त होती है क्योंकि नाटक एक ऐसा माध्यम है जिससे सहज ही उस विषय का ज्ञान हो जाता है |
इसमें भी तीन कथानक लघु नाटिकाओं के रूप में प्रस्तुत किये गए हैं | १- तीर्थंकर ऋषभदेव , २- अकालमृत्यु विजय ( पोदनपुर नरेश विजय महाराज ) , ३- प्रत्युपकार पूर्व भव में राजा मेघरथ के रूप में कथानक शांतिनाथ |
नाटिका के माध्यम से महापुरुषों का जीवनवृत्त लिखकर पूज्य माताजी ने हम सभी पर महान उपकार किया है |
हस्तिनापुर में वीर नि. सं. २५०० भगवान महावीर के निर्वाणोत्सव पर ज्येष्ठ शु. दशमी , गुरूवार को यह कृति पूर्ण किया | हस्तिनापुर की ऐतिहातिक घटनाओं का इस पुस्तक में शास्त्रों के आधार से संक्षेप में उल्लेख किया है | इस तीर्थक्षेत्र पर वर्तमान में उपलब्ध मंदिरों का भी पूज्य माताजी ने दिग्दर्शन कराया है |