मोहनीय कर्म प्रकृति!
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मोहनीय कर्म प्रकृति–Mohniya Karm Prakrati. Karmic nature of delusion. 8 कर्मो में चौथा कर्म; जिस कर्म के उदय से जीव हित–अहित के विवेक से रहित होता है”
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मोहनीय कर्म प्रकृति–Mohniya Karm Prakrati. Karmic nature of delusion. 8 कर्मो में चौथा कर्म; जिस कर्म के उदय से जीव हित–अहित के विवेक से रहित होता है”
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मोहन–Mohan. A king of Rakshas dynasty, A power attracting others, Charm. राक्षस वंशी एक विघाधर राजा एक विद्याशास्त्र–जो व्यक्ति को मुग्ध कर्ता है, आकर्षण”
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मोहज भाव–Mohaj Bhav. Disposition caused by delusion. मोह से उत्पन्न होने वाले औदयिक भाव”
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मोह– Moha. Delusion, Attachment. सांसारिक वस्तुओ में ममत्व या मूर्छा भाव”
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मोषवचन–Moshavachan. Speech causing stealing. असत्य वचन; चोरी में प्रवृत्ति कराने वाले वचन”
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मोद क्रिया–Mod Kriya. An auspicious activity related to the birth of child. गर्भधान के नवमें महीने में गर्भ की पुष्टि के लिए पुनः पूर्वोक्त विधान करके, स्त्री को गात्रिका–बन्ध, मन्त्रपूर्वक बीजाक्षर लेखन व मंगलाभूषण पहनाना”
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मोतीसागर(क्षुल्लक)–Motisagar (Kshullak). Name of a devoted disciple of Ganini shri Gyanmati mataji, who is as the founder of Jambudvip construction at Hastinapur and till today he is providing his valuable guidance & direction in the protection as well as development of the Jain heritage as the Peethadhish of Jambudvip–Hastinapur. गणिनीप्रमुख ज्ञानमती माताजी के…
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मोड़ेवाली गति– Modevali Gati. Transmigratory motion of soul. विग्रहगति; पाणिसुक्ता, लांगलिका, गोमूत्रिका ये तीनों मोड़े वाली गति है”
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मोक्षसप्तमी व्रत–Mokshasaptami Vrat. A famous fasting of Jains to be observed for 7 years. 7 वर्ष पर्यन्त प्रतिवर्ष श्रावण शु. 7(पार्श्वनाथभगवान् का मोक्षकल्याडक दिवस) को उपवास करना”