महापुराण प्रवचन-०१२
महापुराण प्रवचन-०१२ श्रीमते सकलज्ञान, साम्राज्य पदमीयुषे। धर्मचक्रभृते भत्र्रे, नम: संसारभीमुषे।। महानुभावों! युवराज वङ्काजंघ और श्रीमती सुखपूर्वक महल में निवास कर रहे थे। वङ्काजंघ के पिता वङ्काबाहु अपने पुत्र के कार्यकलापों से सदैव प्रसन्न रहते थे। एक दिन महाकान्तिमान् महाराज वङ्काबाहु महल की छत पर बैठे हुए शरद ऋतु के बादलों का उठाव देख रहे थे।…