32. नारी की गरिमा
नारी की गरिमा संसार की सृष्टि में स्त्री और पुरुष दो अंग हैं, जैसे-कुम्भकार के बिना चाक से बर्तन नहीं बन सकते अथवा कृषक के बिना पृथ्वी से धान्य की फसल नहीं हो सकती उसी प्रकार स्त्री पुरुष दोनों के संयोग के बिना सृष्टि की परंपरा नहीं चल सकती। इतना सब कुछ होते हुए भी…