बावनगजा (म.प्र.)!
बावनगजा (म.प्र.)
मध्यलोक के जिनमंदिर (त्रिलोकसार से) इतः परं प्राप्तावसरं नरतिर्यग्लोकं निरूपयितुमनास्तावल्लोकद्वयस्थितजिनभवनस्तुतिपूर्वक तत्संख्यामाह— णमह णरलोयजिणघर चत्तारि सयाणि दोविहीणाणि। वावण्णं चउ चउरो णंदीसर वुंडले रुचगे१।।५६१।। नमत नरलोकजिनगृहाणि चत्वारि शतानि द्विविहीनानि। द्वापञ्चाशत् चत्वारि चत्वारि नन्दीश्वरे कुण्डले रुचके।।५६१।। णमह। नरलोके चतुःशतानि द्विविहीनानि ३९८ जिनगृहाणि नन्दीश्वरद्वीपे कुण्डलद्वीपे रुचकद्वीपे च तिर्यग्लोकसम्बन्धीनि यथासंख्यं द्वापञ्चाशज्जिनगृहाणि ५२ चत्वारि जिनगृहाणि ४ चत्वारि जिनगृहाणि ४ नमत।।५६१।।…
भगवान श्री मुनिसुव्रतनाथ जिनपूजा अथ स्थापना (नरेंद्र छंद) श्री मुनिसुव्रत तीर्थंकर के, चरण कमल शिर नाऊँ।व्रत संयम गुण शील प्राप्त हों, यही भावना भाऊँ।।मुनिगण महाव्रतों को पाकर, मुक्तिरमा को परणें।हम भी आह्वानन कर पूजें, पाप नशें इक क्षण में।।१।। ॐ ह्रीं श्रीमुनिसुव्रतनाथजिनेंद्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीमुनिसुव्रतनाथजिनेंद्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ:…
शान्तिसागरमहाराज जन्मकाल और बाल्यावस्था गौरवशाली प्रकाशपुंज आचार्य कुन्दकुन्द,स्वामी समंतभद्र, विद्यानंदी, जिनसेन इत्यादि आचार्यों की जन्मभूमि तथा उपदेश से पवित्र कर्नाटक प्रदेश में आचार्यश्री १०८ शांतिसागर महाराज का जन्म हुआ। बेलगाँव जिले में भोज ग्राम के भीमगौंडा पाटील की धर्मपत्नी सत्यवती थीं। सन् १८७२ में आषाढ़ कृष्णा षष्ठी के दिन माता सत्यवती ने अपने पीहर…
साधु परमेष्ठी पूजा(अट्ठाईस मूलगुण पूजा) गीता छंद जो नग्न मुद्रा धारते, दिग्वस्त्रधारी मान्य हैं। निज मूलगुण उत्तरगुणों से, युक्त पूज्य प्रधान हैं।। सुर-असुर मुकुटों को झुकाकर, अर्चते हैं भाव से। मैं भी यहाँ आह्वान कर, पूजू उन्हें अति चाव से।।१।। ॐ ह्रीं श्रीसर्वसाधुपरमेष्ठिन्! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीसर्वसाधुपरमेष्ठिन्! अत्र तिष्ठ…
भगवान श्री शांतिनाथ जिनपूजा अथ स्थापना गीता छंद हे शांतिजिन! तुम शांति के, दाता जगत विख्यात हो।इस हेतु मुनिगण आपके, पद में नमाते माथ को।।निज आत्मसुखपीयूष को, आस्वादते वे आप में।इस हेतु प्रभु आह्वान विधि से, पूजहूँ नत माथ मैं।।१।। ॐ ह्रीं श्रीशांतिनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीशांतिनाथजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ:…
भगवान श्री धर्मनाथ जिनपूजा अथ स्थापना गीता छंद श्री धर्मनाथ जिनेन्द्र धर्मामृत पिला के भव्य को।निज आत्म का दर्शन कराया, पथ दिखाया विश्व को।।उनके चरण की वंदना कर, भक्ति से गुण गायेंगे।आह्वान कर पूजें यहाँ, जिनधर्म प्रीति बढ़ायेंगे।। ॐ ह्रीं श्रीधर्मनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीधर्मनाथजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनं।…
भगवान श्री श्रेयांसनाथ जिनपूजा अथ स्थापना अडिल्लछंद श्री श्रेयांस जिन मुक्ति रमा के नाथ हैं। त्रिभुवन पति से वंद्य त्रिजग के नाथ हैं।। गणधर गुरु भी नमें नमाकर शीश को। आह्वानन कर जजूँ नमाऊँ शीश को।।१।। ॐ ह्रीं श्रीश्रेयांसनाथजिनेंद्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीश्रेयांसनाथजिनेंद्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं। ॐ ह्रीं…
श्री चन्द्रप्रभजिन पूजा चारुचरन आचरन, चरन चितहरन चिहनचर। चंद-चंद-तनचरित, चंदथल चहत चतुर नर।। चतुक चंड चकचूरि, चारि चिद्चक्र गुनाकर। चंचल चलित सुरेश, चूलनुत चक्र धनुरधर।। चर अचर हितू तारन तरन, सुनत चहकि चिर नंद शुचि। जिनचंद चरन चरच्यो चहत, चितचकोर नचि रच्चि रुचि।।१।। दोहा धनुष डेढ़सौ तुङ्ग तनु, महासेन नृपनंद। मातु लछमना उर जये,…
भगवान श्री विमलनाथ जिनपूजा(मंगल त्रयोदशी पूजा) अथ स्थापना नरेन्द्र छंद अमल विमल पद पाकर स्वामी, विमलनाथ कहलाये। भाव-द्रव्य-नोकर्म मलों से, रहित शुद्ध कहलाये।। आत्मा के संपूर्ण मलों को, धोने हेतु जजू मैं। आह्वानन स्थापन करके, पूजा करूँ भजूँ मैं।। ॐ ह्रीं श्रीविमलनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीविमलनाथजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ:…