श्री कर्मदहन व्रत पूजा!
श्री कर्मदहन व्रत पूजा अथ स्थापना (शंभु छंद) हे सिद्ध प्रभो! तुम आठ कर्म, विरहित गुण आठ समन्वित हो। अष्टमि पृथिवी पर तिष्ठ रहे, ज्ञानाम्बुधि सिद्धरमापति हो।। समतारस आस्वादी मुनिगण, नित सिद्ध गुणों को ध्याते हैं। हम पूजें तुम आह्वानन कर, जिससे सब कर्म नशाते हैं।। ॐ ह्रीं सर्वकर्मविनिर्मुक्त-श्रीसिद्धपरमेष्ठिसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं।…