तीर्थंकर मुनि तीर्थंकरों की अपेक्षा मुनियों के भेद तीर्थंकर प्रकृति का जिनके बंध हो चुका है, उनके गर्भ मे आने के छह महीने पहले से ही रत्नों की वर्षा आदि होकर गर्भागम के समय इन्द्रादि आकर गर्भ महोत्सव मनाते हैं। जन्म लेते ही इन्द्रादि देव आकर भगवान शिशु को सुमेरु पर्वत पर ले जाकर…
गुणस्थान गुणस्थानों की अपेक्षा मुनियों में भेद दर्शनमोहनीय आदि कर्मों की उदय उपशम आदि अवस्था के होने पर जीव के जो परिणाम होते हैं उन परिणामों को गुणस्थान कहते हैंं ये गुणस्थान मोह और योग के निमित्त से होते हैं। इन परिणामों से सहित जीव गुणस्थान वाले कहलाते हैं। इनके १४ भेद हैं- मिथ्यात्व, सासादन,…
सोलह स्वर्गों के इन्द्र कल्पवासी देवों में १६ स्वर्गों के-१२ इंद्र, १४ या १६ इंद्र माने हैं। तिलोयपण्णत्ति में १२ इंद्र अथवा १६ इंद्र दो प्रकार से माने हैं। यथा— बारस कप्पा केई केई सोलस वदंति आइरिया। तिविहाणि भासिदाणिं कप्पातीदाणि पडलाणिंतिलोयपण्णत्ति भाग-२ पृ. ७८६-७८७ गाथा-११५-११६, १२०। ।।११५।। हेट्ठिम मज्झे उवरिं पत्तेक्वं ताण होंति चत्तारि। एवं…
[[श्रेणी:जिनागम_रहस्य]] == सम्यग्दर्शन का लक्षण (अन्तर-विभिन्न ग्रंथों में) समयसार ग्रन्थ में श्री कुन्दकुन्दस्वामी ने सम्यग्दर्शन का लक्षण लिखा है—(१५ ज०) भूयत्थेणाभिगदा जीवाजीवा य पुण्णपावं च।आसवसंवरणिज्जर बंधो मोक्खो य सम्मत्तंसमयसार पृ. ६३ श्लोक-१३।।।१३ अ०।। भूतार्थनाभिगता जीवाजीवौ च पुण्यपापं च।आस्रवसंवरनिर्जरा बंधो मोक्षश्च सम्यक्त्वम्।।१३।। उत्थानिका — शुद्धनय से जानना ही सम्यक्त्व है, ऐसा सूत्रकार कहते हैं— अन्वयार्थ —…
साधु के २८ मूलगुण (अन्तर-ग्रंथों में) मूलाचार में २८ मूलगुणों के नाम- पंचय महव्वयाइं समिदीओ पंच जिणवरुद्दिट्ठा।पंचेविंदियरोहा छप्पि य आवासया लोओमूलाचार पूर्वार्ध पृ. ५। ।।२।।आचेलकमण्हाणं खिदिसयणमदंतघंसणं चेव।ठिदिभोयणेयभत्तं मूलगुणा अट्ठवीसा दु।।३।। अर्थ – पाँच महाव्रत, पाँच समिति, पाँच इन्द्रियों का निरोध, छह आवश्यक, लोच, आचेलक्य, अस्नान, क्षितिशयन, अदन्तधावन, स्थितिभोजन और एकभक्त ये अट्ठाईस मूलगुण जिनेन्द्रदेव ने…
रुचकवर पर्वत के जिनमंदिर तक्वूडब्भंतरए चत्तारि हवंति सिद्धकूडाणिं। पुव्वसमाणं णिसहट्ठिदजिणपुरसरिसजिणणिकेदाणिं।।१६५।। दिसविदिसं तब्भाए चउ चउ अट्ठाणि सिद्धकूडाणिं। उच्छेदप्पहुदीए णिसहसमा केइ इच्छंति।।१६६।। लोयविणिच्छयकत्ता रुचकवरद्दिस्स वण्णणपयारं। अण्णेण सरूवेणं वक्खाणइ तं पयासेमि।।१६७।। होदि गिरि रुचकवरो रुंदो अंजणगिरिंदसमउदओ। बादालसहस्साणिं वासो सव्वत्थ दसधणो गाढो।।१६८।। ८४०००। ४२०००। १०००। कूडा णंदावत्तो सत्थियसिरिवच्छवड्ढमाणक्खा। तग्गिरिपुव्वदिसाए सहस्सरुंदं तदद्धउच्छेहो।।१६९।। एदेसु दिग्गजिंदा देवा णिवसंति एक्कपल्लाऊ। णामेहिं पउमुत्तरसुभद्दणीलंजणगिरीओ।।१७०।। तकूडब्भंतरए…
क्या आप भी मानते हैं ये अंधविश्वास /> left “50px”]] /> right “50px”]] /> left “50px”]] /> right “50px”]] भारत में कई अंधविश्वास और मान्यताएं हैं जिन्हें या तो धर्म से जोड़ा जाता है या उन्हें विश्वास बताया जाता है। कई लोगों का कहना है कि बिल्ली रास्ता काट दें तो आगे ना जाएं जबकि…