भाव बंध और द्रव्य बंध
भाव बंध और द्रव्य बंध जिन चेतन के परिणामों से, ये कर्म जीव से बंधते हैं। उन भावों को ही भावबंध, संज्ञा श्रीजिनवर कहते हैं।। जो कर्म और आतम प्रदेश, इनका आपस में मिल करके। अति एकमेक हो बंध जाना, यह द्रव्यबंध है बहुविध से।।३२।। आत्मा के जिन भावों से कर्म बंधता है, वह आत्मा…