ध्यान माधुरी-माताजी! आज ध्यान की चर्चा जहाँ-तहाँ चलती रहती है, वह ध्यान क्या है? और उसके कौन-कौन से भेद हैं? माताजी-एकाग्रचिन्तानिरोध होना अर्थात् किसी एक विषय पर मन का स्थिर हो जाना ध्यान है। यह ध्यान उत्तम संहनन वाले मनुष्य के अधिक से अधिक अन्तर्मुहूर्त तक ही हो सकता है। इस ध्यान के आर्त, रौद्र,…
नि:शल्योव्रती सुगंधबाला-जीजी! शल्य किसे कहते हैं? मालती-‘‘शल्यमिव शल्य’’ जो शल्य-कांटे के समान चुभती रहे-दु:ख देवे, वह शल्य है। महाशास्त्र तत्त्वार्थ सूत्र में ‘‘नि:शल्यो व्रती’’ यह सूत्र कहा है। इसका विशेष स्पष्टीकरण सर्वार्थसिद्धि, तत्त्वार्थराजवार्तिक आदि ग्रंथों में किया गया है। सर्वार्थसिद्धि में कहते हैं-‘‘शृणाति हिनस्तीति शल्यम्। शरीरानुप्रवेशिकांडादि-प्रहरणं शल्यमिव शल्यं यथा तत्प्राणिनोबाधाकारं तथा शारीरमानसबाधा-हेतुत्वात्कर्मोदयविकार: शल्यमित्युपचर्यते। तत्त्रिविधं मायाशल्यं,…
जटायु पक्षी सुधा-माताजी! मुझे आज आहारदान का महत्त्व बतलाइये। आर्यिका-सुनो बेटी! मैं तुम्हें बहुत ही सुन्दर एक कथा सुनाती हूँ, जो कि धर्म मेें महान प्रेम और पाप से महान भय उत्पन्न कराने वाली है। श्री रामचन्द्र, सीता और लक्ष्मण के साथ वनवास में घूमते-घूमते किसी महावन में पहुँच गये। वहाँ लक्ष्मण ने नाना प्रकार…
सती द्रौपदी हस्तिनापुर में पांडवों का शासन चल रहा था। प्रजा के लोग दुर्योधन आदि कौरवों के दुव्र्यवहार को भी भुला चुके थे। उस सुखद प्रसंग में नारद ऋषि यत्र-तत्र विचरण करते हुए वहाँ पर आ गये। पाँचों पांडवों से मिलकर प्रसन्न हुए। पांडवों ने भी उनका बहुत ही आदर-सम्मान किया। अनन्तर नारदजी द्रौपदी के…
अहिल्या की कथा कमला-बहन जी! सुनने में आता है कि इन्द्र ने ऋषि पत्नी अहिल्या का उपभोग करना चाहा था तथा पत्थर सदृश हो गई अहिल्या का रामचन्द्र ने उद्धार किया था सो क्या वास्तविक बात है? अध्यापिका-जैन सिद्धान्त के अनुसार मैं तुम्हें अहिल्या की कथा सुनाती हूँ, सुनो। अरिंजयपुर नगर में वह्निवेग नामक विद्याधर…
नागश्री चंपापुरी में नागशर्मा ब्राह्मण की एकमात्र लाडली नागश्री कन्या एक दिन सहेलियों के साथ वन में नागपूजा करने गई थी। वहाँ पर दो जैन मुनि मिल गये। उन्हें नमस्कार करके उनके पास बैठ गई। तब मुनिराज ने उसे धर्मोपदेश सुनाया, पुन: पाँच अणुव्रत भी उसे प्रदान कर दिये। आगे क्या होता है, सो वही…
अपनी मदद अपने हाथ किसी नगर में एक किसान रहता था। उसके पास एक गाय और एक घोड़ा था। दोनों साथ—साथ जंगल में घास चरते थे। किसान के पड़ोंस में एक धोबी रहता था।उसके पास एक गधा और एक बकरी थी। धोबी भी अपने इन पालतू जानवरों को उसी जंगल में चरने के लिए छोड़…
शासन देव-देवी आदि के प्रमाण विश्वेश्वरादयो ज्ञेया, देवता शांतिहेतवे। क्रूरास्तु देवता: हेया, येषां स्याद्वृत्तिरामिषै:।। अर्थ-जिनागम में विश्वेश्वर, चक्रेश्वरी , पद्मावती आदि देवता शांति के लिए बतलाये हैं। परन्तु जिन पर बलि चढ़ाई जाती है, जीव मारकर चढ़ाये जाते हैं ऐसे चंडी, मुंडी आदि देवता त्याग करने योग्य है । इसका भी खुलासा इस प्रकार…
अग्नि में हवन के प्रमाण एवं सप्तमप्रतिमाधारी ब्रह्मचारी भी हवन करें तदाकर्णेनमात्रेण सत्वरः सर्वसंगतः। चक्रवर्ती तमभ्येत्य त्रिःपरीत्य कृतस्तुतिः।।३३६।। महामहमहापूजां भक्त्या निवर्तयन्स्वयम्। चतुर्दश दिनान्येवं भगवन्तमसेवत।।३३७।। माघकृष्णचतुर्दश्यां भगवान् भास्करोदये। मुहूर्तेऽभिजिति प्राप्तपल्यज्रे मुनिभिः समम्।।३३८।। प्राग्दिङ्मुुखस्तृतीयेन शुक्लध्यानेन रूद्ववान्। योगत्रितयमन्येन ध्यानेनघातिकर्मणाम्।।३३९।। पञ्चह्वस्वरोञ्चारणप्रमाणेन संक्षयम्। कालेन विदधत्प्रान्तगुणस्थानमष्टितिः।।३४०।। शरीरत्रितयापाये प्राप्य सिद्धवपर्ययम्। निजाष्टागुणसंंपूर्णः क्षणाप्तनुवातकः।।३४१।। नित्यो निरञ्जनःकिंचिदूनो देहादमूर्तिभाक्। स्थितःस्वसुखसाद्भृतःपश्यन्विश्चमनारतम्।।३४२।। तदागत्य सुराः सर्वे प्रान्तपूजाचिकीर्षया। पवित्रं परमं…