जहाँ नदियां गिरती हैं वहां भगवान की जिनप्रतिमाएँ हैं
जहाँ नदियां गिरती हैं वहां भगवान की जिनप्रतिमाएँ हैं अथ प्रणालिकाया: वृषभाकारत्वमन्वर्थयति— केसरिमुहसुदिजिब्भादिट्ठी भूसीसपहुदिणो सरिसा। तेणिह पणालिया सा बसहायारेत्ति णिद्दिट्ठा।।५८५।। केशरिमुखश्रुतिजिह्वादृष्टय: भूशीर्षप्रभृतय: गोसदृशा:। तेनेह प्रणालिका सा वृषभाकारा इति निर्दिष्टा।।५८५।। केसरि। मुखश्रुतिजिह्वादृष्टय: केसरिसदृक्षा: भूशीर्षप्रभृतयः गोसदृक्षास्तेन कारणेनेह सा प्रणालिका वृषभाकारेति निर्दिष्टा।।५८५।। अथ पतितायास्तस्या: पतनस्वरूपं गाथापञ्चकेनाह— भरहे पणकदिमचलं मुच्चा कहलोवमा दहब्वासा। गिरिमूले दहगाहं वुंडं वित्थारसट्ठिजुदं।।५८६।। मज्झे दीओ जलदो…