पर्याप्ति प्ररूपणा सार
पर्याप्ति प्ररूपणा सार पर्याप्ति—ग्रहण किये गये आहार वगर्णा को खल-रस भाग आदि रूप परिणमन कराने की जीव की शक्ति के पूर्ण हो जाने को ‘‘पर्याप्ति’’ कहते हैं। ये पर्याप्तियाँ जिनके पाई जाएं उनको पर्याप्त और जिनकी वह शक्ति पूर्ण न हो उन जीवों को अपर्याप्त कहते हैं। जिस प्रकार कि घट, पट आदि द्रव्य बन…