लिंग पाहुड!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लिंग पाहुड – आचार्य कुन्दकुन्द कृत साधु के द्रव्य व भाव लिंग विशयक 22 गाथा निबद्ध ग्रंथ। Limgapahura-Name of a treatise written by Acharya Kundkund
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लिंग पाहुड – आचार्य कुन्दकुन्द कृत साधु के द्रव्य व भाव लिंग विशयक 22 गाथा निबद्ध ग्रंथ। Limgapahura-Name of a treatise written by Acharya Kundkund
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लिगज श्रुतज्ञान – अनक्षरात्मक श्रुतज्ञान, चिन्ह से उत्पन्न होने वाला श्रुतज्ञान। Limgaja Srutajnana-A kind of symbolic knowledge pertaining to Shrutgyan (scriptural knowledge), Unsyllabic knowledge
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लिंग – चिन्ह, वेद, स्त्री, पुरूश नपुंसक रूप द्रव्यलिग। Limga-Sex-gender
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लालसा – प्रबल इच्छा अभिलाशा, निदान षल्य भोगो की लालसा रखना। Lalasa-Keen, Desire Longing
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लाभांतराय – जिस कर्म के उदय से जीव किसी वस्तु को प्राप्त करने की इच्छा करता हुआ भी प्राप्त नही कर पाता। Labhamtaraya-Obstruction in getting desirable attainment
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लाभ – इच्छित अर्थ की प्राप्ति का नाम लाभ है। Labha-Profit, Gain, Desirable Attainment
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लाडबांगड संघ – जैन मूल संध से निकले काठासंघ के चार भेदो में अन्तिम भेद, एक जैनाभासी संघ। Larabagara Samgha-One of the four former parts of Kashtha group of saints
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लाटी संहिता – श्रावकाचार विशयक पडित राजमल्ल कृत ग्रथ इसमें सात सर्ग एवं 1400 ष्लोक हैं। Lati Samhita-Name of a treatise written by Pandit rajmalla
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लाट – गुजरात के प्राचीन काल मे तीन भाग थे। उसमें से गुजरात का मध्य व दक्षिण भाग लाट कहलाता था। Lata-South and middle part of Gujrat state (of ancient time)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लाघव – लघुता, हल्कापन षरीर का भारीपन नश्ट होना। तपष्चरण से षरीर में ये गुण प्राप्त होता है जिसे लघिमा ऋद्धि कहते है। Laghava-Lightness, minuteness