सचित्तापिधान!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सचित्तापिधान – Sachittaapidhaana. Covering food with leaf etc. (objects having life), an infraction of vow of hospitality. सचित्त वस्तुओं अर्थात् पत्ते आदि से आहार ढांकना, अतिथि-संविभाग व्रत का एक अतिचार “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सचित्तापिधान – Sachittaapidhaana. Covering food with leaf etc. (objects having life), an infraction of vow of hospitality. सचित्त वस्तुओं अर्थात् पत्ते आदि से आहार ढांकना, अतिथि-संविभाग व्रत का एक अतिचार “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सचित्त संबंध आहार – Sachitta Sambandha Aahaara. Taking food mixed with other food articles having life. भोगोपभोगपरिमाण व्रत का एक अतिचार; सचित्त वस्तुओं से सम्बन्ध रखने वाले आहारपान का सेवन करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सचित्त वर्गणा – Sachitta Varganaa. A type of aggregate of Karmic molecules. 23 वर्गणाओं में एक वर्गणा ” 5 शरीर के योग्य वर्गणायें “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सचित्त योनि – Sachitta Yoni. Female genital organ. गुण योनि के 9 भेदों में एक भेद; जीव की उत्पत्ति का सचित्त स्थान “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सचित्त भाव – Sachitta Bhaava. Animate beings. निक्षेप रूप भाव का एक भेद ” जीव द्रव्य सहित भाव है बाकी 5 द्रव्य अचित्त भाव हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सचित्त पूजा – Sachitta Poojaa. A type of worshipping of Lord Jinendra (in Samavasaran), Acharya (saints) etc. द्रव्यपूजा के 3 भेदों में एक भेद; प्रत्यक्ष उपस्थित जिनेन्द्र भगवान (समवशरण में) और गुरु आदि का यथायोग्य पूजन करना सचित्त पूजा है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सचित्त पाहुड़ – Sachitta Paahura. Animate gifts (pertaining to living objects). निक्षेप रूप पाहुड़ का एक भेद; उपहार रूप से भेजे गये हाथी, घोडा और स्त्री आदि सचित्त पाहुड़ है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सचित्त नोकर्म द्रव्य बंधक – Sachitta Nokarma Dravya Bandhaka. Those who fasten animals. बंधक का एक भेद; जैसे हाथी बांधने वाले इत्यादि “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सचित्त निक्षेप – Sachitta Nikshepa. Food offering on green leaves, an infraction of vow of hospitality. हरे पत्तों पर रखकर आहार देना; अतिथिसंविभाग व्रत का एक अतिचार “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सचित्त द्रव्य शल्य – Sachitta Dravya Shalya. A type of material sting; servants etc. animate objects. द्रव्य शल्य के तीन भेदों में एक भेद; दास आदि सचित्त द्रव्य शल्य है “