संस्थान नामकर्म प्रकृति!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संस्थान नामकर्म प्रकृति – Sansthaana Naamakarma Prakrti. Physique making Karma causing figure of the body. जिस कर्म के उदय से 6 प्रकार के संस्थानों में से कोई एक रूप शरीर का आकार हो “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संस्थान नामकर्म प्रकृति – Sansthaana Naamakarma Prakrti. Physique making Karma causing figure of the body. जिस कर्म के उदय से 6 प्रकार के संस्थानों में से कोई एक रूप शरीर का आकार हो “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संस्थान – Sansthaana. The figure of beings etc., An institute. आकृति को संस्थान कहते हैं (जीवों का गोल, त्रिकोण आदि आकार), संस्था “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संस्तर – Sanstara. Bed, Dry grass bed. शय्या ” दिगम्बर जैन साधुओं का संस्तर तृण, चटाई आदि का होता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संस्तवक – Sanstavaka. The 2nd Patal (layer) of the 2nd hell. दूसरे नरक का दूसरा पटल “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संस्कारमालारोपण – Sanskaara Maalaaropana. A particular kind of ritual procedure of attributing virtues to the idol of Jaina-Lord, to be observed by Saudharma Indra. पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में केवलज्ञान कल्याणक के दिन प्रतिमा के ऊपर सौधर्म इन्द्र द्वारा की जाने वाली एक विशेष विधि, जिसमें प्रतिमा के ऊपर विविध संस्कारों का आरोपण किया जाता है…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संसिद्धि – Sansiddhi. Completion of any work. किसी कार्य का निष्पन्न या पूर्ण होना ” सिद्ध, साधित, आराधित और संसिद्धि शब्द एकार्थवाची हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संसारी – Sansaaree. Wordly beings. आठों कर्मों से लिप्त जीव अर्थात् जिन्होंने स्वभाव को प्राप्त नही किया है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संसारानुप्रेक्षा – Sansaaraanuprekshaa. Contemplation about the wordly troubles. 12 भावनाओं में एक भावना; संसार के स्वभाव एवं संसार परिभ्रमण का अर्थात् दुःखमय स्वरुप का चिंतन करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संसार विचय – Sansaara Vichaya. Contemplation about the transformable nature of the matter, region, time, realm of the life and emotions. द्रव्य, क्षेत्र, काल, भव एवं भावरूप पंचपरावर्तन के स्वरुप का चिंतन करना “