संयोगाधिकरण!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयोगाधिकरण – Sanyogaadhikarana. A type of Ajivadhikaran-non-living substratum related to mixing of substances. अजीवाधिकरण का एक भेद ” इसके भी उपकरण संयोग और भक्तपान संयोग दो भेद हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयोगाधिकरण – Sanyogaadhikarana. A type of Ajivadhikaran-non-living substratum related to mixing of substances. अजीवाधिकरण का एक भेद ” इसके भी उपकरण संयोग और भक्तपान संयोग दो भेद हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयोगाक्षर – Sanyogaaksara. Combination of syllables i.e. formation of words. अक्षरों के संयोग से बना शब्द “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयोगसंबंध – Sanyoga Sambandha. A synthetical relation. पृथक् सिद्ध पदार्थों के मेल को संयोग संबंध कहते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयोगवाद – Sanyogavaada. A doctrine believing the accomplishment of everything by alliance of matters. वस्तुओं के संयोग से ही सर्वकार्य की सिद्धि मानने वाला एकांत मत “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयोग द्रव्य – Sanyoga Dravya. Compound form a matter (a combination of two different matters). अलग – अलग सत्ता रखने वाले द्रव्यों के मेल से जो पैदा हो जाये उसे संयोग द्रव्य कहते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयोगगति – Sanyogagati. Motion with support (like motion of chariot by elephant etc). मेघ, रथ, मूसल, आदि की क्रमशः वायु, हाथी तथा हाथ के संयोग से होने वाली गति “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयमोपकरण – Sanyamopakarana. Restraint indicating article (Pichchhi) possessed by Digambar jaina saint. It is made by peacock- feathers which are turned down naturally while dancing of peacock. जैन साधु के योग्य संयम का पालन करने में सहायक पिच्छिका को संयमोपकरण कहते हैं ” यह प्राकर्तिक रूप से गिरे हुए मोर के पंखों से बनायी…
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यशस्वी–Yashasvi. The other name of the 9th Kulkar (ethical founder). 9वें कुलकर का अपर नाम”
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यशस्विनी–Yashasvini. Name of a female divinity of Ruchak mountain. रुचक पर्वत निवासिनी दिक्कुमारी देवी”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयमासंयम – sanyamaasanyama. A type of minor vow related to restraintful & nonrestraintful violence. It is made by peacock feathers which are turhed down naturally while davcing of peacock. अणुव्रत; त्रस हिंसा से विरति तथा स्थावर हिंसा से अविरति “