षट्काय!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षट्काय – Satkaaya. Six kinds of body forms of living beings. त्रस तथा पृथिव, जल, वायु, अग्नि और वनास्पतिकाय के जीव “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षट्काय – Satkaaya. Six kinds of body forms of living beings. त्रस तथा पृथिव, जल, वायु, अग्नि और वनास्पतिकाय के जीव “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षट् कर्म – Sat Karma. Six occupations for livelihood instructed by Lord Rishabhadev. भगवान ऋषभदेव द्वारा प्रजा की आजीविका के लिए बताये गये 6 कार्य; असि,मसि, कृषि, विद्या, वाणिज्य और शिल्प “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षट् आवश्यक – Sat Aavashyaka. Six essential duties of Jaina saints. मुनियों के 6 आवश्यक कर्त्तव्य; सामायिक, वंदना, स्तुति,प्रतिक्रमण, स्वाध्याय और कार्योत्सर्ग “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षट् अनायतन – Sat Anaayatana. Six reasons of false belief. मिथ्यात्वादि के कारणाभूत 6 स्थान; कुदेव, कुगुरू, कुशास्त्र व इन तीनों के भक्त “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षंड वन – Shanda Vana. The initiation forest of Lord Mahavira. तीर्थंकर महावीर का दीक्षा वन ” इसके अन्य नाम ज्ञातृ वन व मनोहर वन भी मिलते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] ष – Sa. The 31st consonant of the Devanagari syllabary. देवनागरी वर्णमाला का इकतीसवाँ व्यंजन अक्षर, इसका उच्चारण स्थान मूर्धा है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्वेताम्बराभास – Shvetaambaraabhaasa. A sub-sect of Shvetambar Jain group. स्वेताम्बर संघ से उत्पन्न हुआ एक मत, अपरनाम ढूंढिया मत या स्थानकवासी मत “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्वेताम्बर संघ – Shvetaambara Sangha. Group of Shvetambar Jain saints. गोपुच्छक, श्वेताम्बर, द्रविड़, यापनीय, निष्पिच्छ इन 5 जैनाभासी संघो में एक संघ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्वेताम्बर पराजय – Shvetaambara Paraajaya. Name of a book written by Pandit Jagannath. पंडित जगन्नाथ (ई.सन् 1646) कृत कवलि भुक्ति निराकृति विषयक एक रचना “