व्यक्त!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] व्यक्त –Vyakta. Expressed, Exposed, Revealed, Manifested. प्रगट “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] व्यक्त –Vyakta. Expressed, Exposed, Revealed, Manifested. प्रगट “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] व्यंतर लोक –Vyaintara Loka. The world of peripatetic deities. चित्रा और व्रजा पृथिवी की मध्यसंधि से लगाकर मेरु पर्वत की ऊंचाई तक तथा तिर्यकृ लोक के विस्तार प्रभाव लम्बे – चौड़े क्षेत्र को व्यंतर लोक कहते है जहाँ व्यंतरदेवो के भवन, भवनपुर और आवास होते हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] व्यंतरदेव –Vyaintaradeva. Peripatetic deities ( Bhoot, Pishach etc.). किन्नर, किम्पुरुष, महोरग, गंधर्व, यक्ष, राक्षस, भुत और पिशाच ये ८ प्रकार के व्यंतर देव कहलाते हैं ” ये वैकिर्यिक शरीर के धारी होते हैं एवं इनके असंख्य भवनों में जिनमंदिर होते हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] व्यंतर –Vyaintara. Peripatetic deities (i.e. Bhoot, Pishach etc.). चार प्रकार के देवों में एक भेद; इनके भवन अधोलोक में तथा भवनपुर और आवास म्ध्यलोक के द्वीप, सागरों में हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] व्यंजनावग्रह –Vyainjanavagraha. Knowing of ambiguous or indistinct matters. अवग्रह के दो भेदों में एक भेद; अस्पष्ट पदार्थ – शब्दादि को जानना, जिससे निश्चय ण हो सके क्या था”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] व्यंजन संक्रांति –Vyainjana Sainkranti. Word shifting or change in the verbal expression (reg. change in pure meditation). प्रथम शुक्ल ध्यान में एक श्रुत वचन को छोड़कर दुसरे वचन का आलम्बन लेना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] व्यंजन शुद्धि –Vyaninjana Suddhi. Right & exact pronunciation of religious hymns, mystic syllables (mantras) etc. सूत्रों को दोष रहित पढ़ना व्यंजन शूध्दि है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] व्यंजन पर्याय –Vyainjana Paryaya. Physical form of beings. जो स्थूल है, शब्द के द्वारा कही जा सकती है और चिरस्थायी है उसे व्यंजन पर्याय कहते हैं ” जैसे-जीव की सिध्द या मनुष्य आदि पर्याय “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] व्यंजन निमित्तज्ञान –Vyainjana Nimittajnana. A science of omen (a type of indicating knowledge.Mole etc. special mark on the body). अष्टांग निमित्तज्ञान का एक भेद; सिर, मुख आदि में, रहने वाले तिल आदि व्यंजन कहलाते हैं ” इनसे लाभ- अलाभ आदि को जान लेना व्यंजन निमित्त ज्ञान है “