वैतरणी!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैतरणी –Vaitarani See – Vetarani. देखे – वेतरणी “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैदूर्यसागर द्वीप –VAiduryasagaraDvipa. Name of an island and an ocean of middle universe मध्यलोक के सागर और द्वीप का नाम “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैदूर्यमणि –Vaiduryamani The sapphire-a coloured gem, Body colour of Lord Munisuvratnath&Neminath was like sapphire. नीलम, नील वर्ण वाली मणि – तीर्थकर मुनिसुव्रतनाथ एवं तीर्थकर नेमिनाथ का वर्ण वैदूर्यमणि सट्दश था ” सुमेरु पर्वत की चूलिका वैदूर्यमणियी हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैदूर्य –Vaidurya. Name of an island & ocean of middle universe. Name of a summit of Mahahimvanmountain and its protecting deity, The summits of Manushottar and Ruchak mountains, Name of the 14thPatal (layer) of Saudharma heaven. मध्यलोक का एक सागर व द्वीप, महाहिमवान पर्वत का एक कूट व उसका रक्षक देव, मानुषोत्तर…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैजयंती –Vaijayaninti Name of the main city of Suprabh region of western Videh (region).Name of a Vapi (like large lake in the western Nandishvardvip (island). Name of female divinities of Ruchakmountain, Name of the palanquin of Lord Arahanath. पश्चिम विदेह के सुप्रभ क्षेत्र की प्रधान नगरी, नन्दीश्वर द्वीप की पश्चिम दिशा में…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैजयंता –Vaijayanitd Name of a main city of Suvapra region of VidehKshetra (region). विदेह क्षेत्रस्थ सुवप्रा क्षेत्र की प्रधान नगरी “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैजयंत स्वर्ग –VaijayaintaSavrga. The forth heavenly abode of among 5 Anuttars (heavens). ५ अनुत्तरों में चौथा उत्तर दिशा का विमान “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैजयंत –Vaijayainta Name of the 66th planet, Name of the cities in the north & south of Vijayardhmountain, The southern door to the surrounding wall of Jambudvip, Name of a door of Samavasaran land. ज्योतिष के ८८ ग्रहों में ६६वा ग्रह विजयार्ध की उत्तर व दक्षिण श्रेणी के दो नगर, जंबुद्वीप की…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैखरी –Vaikhari. A language, the power the speech. विविधता, विभिन्ता, आश्चर्य “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैक्रियिक समुदघात –VaikriyikaSamudghata Overflowing of soul points from the body for transforming the own shape. विक्रिया करने के लिय अथार्त शरीर को छोटा, बड़ा या अन्य शरीर रूप करने के लिय आत्मा के प्रदेश शरीर से बाहर निकलते हैं वह वैक्रियिक समुदघात हैं “