विस्तार दर्शनार्य!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विस्तार दर्शनार्य –VistaraDarsanarya. A type of noble persons. दर्शनार्य १० प्रकार के होते हैं उनमें से विस्ताररूचि वाले सम्यग्द्रष्टि को विस्तार दर्शनार्य कहते हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विस्तार दर्शनार्य –VistaraDarsanarya. A type of noble persons. दर्शनार्य १० प्रकार के होते हैं उनमें से विस्ताररूचि वाले सम्यग्द्रष्टि को विस्तार दर्शनार्य कहते हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विस्तर सत्त्व त्रिभंगी –VistaraSattvaTribhammgi. Name of a treatise written by AcharyaKanaknandi. आचार्य कनकनंदि कृत कर्म सिध्दांत विषयक प्राक्रत भाषा का एक ग्रंथ ” समय – ई.सन् ९३९
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विसृष्टांग तप –Visratamga Tapa. An austerity or meditation, keep the body ex-actly loose. कायक्लेश तप का एक भेद; जिस तप में सम्पूर्ण शरीर ढीला छोड़ दिया जाये उसे विसृष्टांग तप कहते हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विसपर्ण –Visarpana. Expansion, Crawling, Slight expansion of soul-points. फैलाव, प्रसारण, विस्तार, रेंगना, सरकाना, दीपक के प्रकाश के समान जीव के प्रदेशों का संकोच-विस्तार (विसपर्ण) होता है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विसर्जन –Visarjana. Completion, Sending deities back with respect. समापन, पूजा के ५ अंगों में एक अंग, जो पूजा की समाप्ति पर किया जाता है ” इसमें आगन्तुक देवों को आदरपूर्वक अपने-अपने स्थानों पर जाने के लिए प्रार्थना की जाती हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विसदृश –Visadrsa. Dissimilar, Recognition with dis-similarity (reg. any different matters). समानता का अभाव ” प्रत्यभिज्ञान का एक भेद; स्मृति और प्रत्यक्ष के विषयभूत पदार्थों में विसदृशता दिखाते हुये जोड़रूप ज्ञान को विसदृश प्रत्यभिज्ञान कहते हैं ” जैसे – गाय को लेकर भैंसा में रहने वाली विसदृशता दिखाना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विसंवाद –Visamvada. Misleading or deceptive speech. वचन विरोध, धोखा ” अशुभ नामकर्म के आस्त्रव का एक कारण; अन्यथा प्रवृर्ती या प्रतिपादन करना अथवा दूसरे को धोखा देना विसंवाद है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विसंयोजन –Visamyojana. Transition of higher passions into lower passion-ate form. संक्रमण, अनंतानुबंधी कषाय के द्रव्य को अप्रत्याख्यानादि अन्य कषाय रूप परिणमा देना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विष्णुनंदि –Visnunandi. Name of an omniscient after Lord Mahavira. भगवान महावीर के बाद हुए पंचम श्रुतकेवली, समय – ई. पू. ४६५-४५१, अपरनाम नंदि था “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विष्णुकुमार –Visnukumara. A great saint; the son of Chakravarti (emperor) ‘Mahapadma; ultimately who got salvation. महापध्न चक्रवर्ती के पुत्र एक महामुनि ” अक्म्पनाचार्य के ७०० मुनियों के संघ पर बलि कृत उपसर्ग को अपनी विक्रिया ऋध्दी द्वारा दूर किया, अंत में तप कर मोक्ष गये “