शीलकथा!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शीलकथा – Sheelakathaa. Name of religious story written by poet Bharamal. कवि भारमल (ई. 1756) रचित हिंदी भाषाबद्ध कथा “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शीलकथा – Sheelakathaa. Name of religious story written by poet Bharamal. कवि भारमल (ई. 1756) रचित हिंदी भाषाबद्ध कथा “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शील – Sheela. Virtuous and moral conduct. दान, पूजा, शील, उपवास गृहस्थों के इन 4 धर्मों में से एक ” दया, व्रतों की रक्षा, ब्रह्मचर्य एवं सदगुणोंका पालन करना शील कहलाता है ” अथवा व्रतों की रक्षा करने वाले 3 गुणव्रत एवं 4 शिक्षाव्रत को शील कहते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वज्रमूल – Vajramuula The other name of Sumeru mountain. सुमेरु पर्वत का एक अपर नाम “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वज्रमध्य व्रत – Vajramadhya Vrata A specified & procedural fasting. एक व्रत ;इसमें कुल 29 उपवास और 9 पारणाएं की जाती है ” विशेष विधि व्रत विधान संग्रह में देखें “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वज्रबाहु – Vajrabaahu The son of Vidyadhar Vinami, A king of the stream of king Vasu. विद्याधर विनमि का पुत्र , इसकी बहिन सुभद्रा चक्रवर्ती भरत के 14 रत्नों में एक स्त्री रत्न थी , राजा वसु की परम्परा में राजा दीर्घबाहु का पुत्र “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वज्रपंजरस्तोत्र –Vajrapanjra Stotra A protecting spiritual hymn. पंचपरमेष्ठी की स्तुति रूप एक रक्षा स्तोत्र “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वज्रपंजरविधान –Vajrapanjaravidhan Name of a treatise related to mystical theory. मन्त्र – तंत्र विषयक संस्कृत भाषा एक ग्रन्थ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वज्रनाराचसंहनन – Vajranaaraachasanhanana. An osseous structure . 6 सहननों में दूसरा संहनन , जिसमें वज्रमय हड्डियों दोनों ओर वज्रमय नाराच अर्थात कील से जुडी होती हैं ” यह नामकर्म की एक प्रकृति है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वज्रनाभि – Vajranaabhi Past-birth soul of Lord Rishabhdev & Lord Parshvnath, Past-birth name of Lord Vimalnath’s father, Name of a chief disciple of Lord Abhinandannath. भगवान ऋषभदेव के तीसरे तथा भगवान पार्श्वनाथ के चौथे पूर्वभव का जीव , तीर्थंकर विमलनाथ के पूर्वभव के पिता , भगवान अभिनन्दंननाथ के एक गणधर का नाम
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वज्रनंदि – Vajranandi Name of a disciple of Gunnandi of Nandi group and a disciple of Acharya Pujyyapad who established Dravid group. नंदिसंघ बलात्कारगण के अनुसार गुणनंदि के शिष्य तथा कुमारनंदि के गुरु ” समय –ई . 442 – 464 ,आचार्य पूज्यपाद के शिष्य ” गुरु से बिगड़कर द्रविड़संघ की स्थापना की ” कृतियां…