सुमतिदेव!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुमतिदेव – Sumatideva. Name of the great Acharya, the writer of ‘Sanmati Tarak Tika’. मूलसंघ में कुन्दकुन्द आचार्य परम्परा के एक आचार्य सन्मति तर्क टीका ग्रन्थ के रचयिता । समय – ई0 श0 7-8 ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुमतिदेव – Sumatideva. Name of the great Acharya, the writer of ‘Sanmati Tarak Tika’. मूलसंघ में कुन्दकुन्द आचार्य परम्परा के एक आचार्य सन्मति तर्क टीका ग्रन्थ के रचयिता । समय – ई0 श0 7-8 ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुमतिकीर्ति – Sumatikeerti. Name of a Bhattarak of Nandi group. नंदिसंघ बलात्कार गण ईडर गद्दी के एक भट्टारक । कृतियां पंचसंग्रह की संस्कृत वृत्ति , ज्ञानभूषण के साथ मिलकर ’क्रम प्रकृृति’ की टीका लिखी ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुमति – Sumati. Good understanding or Judgement. अच्छी वृद्धि ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुमंदर – Sumamndra. Name of a mountain of Bharat Kshetra (region) भारत क्षेत्र का एक पर्वत ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोकपाल – Lokpaal.: The protecting deities. चतुर्निकाय के देवों के दस भेदों में एक प्रकार –इंद्र द्वारा नियुक्त लोक रक्षक देव जो कोतवाल के समान होते हैं “ये चार हैं –सोम , यम , वरुण और कुबेर “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुमंगला – Sumamngalaa. Mother’s name of Lord Sumatinath & the 2nd Chakravarti sagar. तीर्थकर सुमतिनाथ की माता जो अयोध्या के राजा मेघप्रभ की रानी थी , दूसरे चक्रवर्ती सगर की जननी ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोकपंक्ति क्रिया – Lokapankti kriyaa.: Silly tradition of entertaining activities. अंतरात्मा के मलिन होने से मूर्ख लोग जो लोक को रंजायमान करने के लिये क्रिया करते हैं उसे लोकपंक्ति कहते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोकनाभी – Loknaabhi.: The another name of Sumeru mountain which is situated in centre of all three Loks as the navel. सुमेरु पर्वत का एक अपरनाम क्योंकि ये नाभि के समान तीन लोक के बीच (मध्यलोक )में स्थित है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुभौम – Subhauma. Name of the 8th Chakravarti (emperor). 8वे चक्रवर्ती, जो णमोकार मंत्र का अपमान करने के कारण मरकर 7 वे नरक में गयें ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोक अनुप्रेक्षा – Lok Anuprekshaa.: One of the 12 reflections (continuous contemplation for pain & pleasure ). 12 भावनाओं में से एक भावना ;लोक की स्तिथि,विस्तार ,जीवों के सुख –दुख आदि का बराबर चिंतन करना “