स्वाभाविक स्वभाव!
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वाभाविक स्वभाव – Svaabhaavika Svabhaava. Natural nature instinct (of Siddhas). उपचरित स्वभाव का एक भेद। सिद्वों का पर को देखना व जानना स्वाभाविक स्वभाव है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वाभाविक स्वभाव – Svaabhaavika Svabhaava. Natural nature instinct (of Siddhas). उपचरित स्वभाव का एक भेद। सिद्वों का पर को देखना व जानना स्वाभाविक स्वभाव है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वाभाविक विमान – Svaabhaavika Vimaana. Natural aboding places of heavenly deities. विमान के दो भेदो मे एक भेद-एक विक्रिया से उत्पन्न हुए और दूसरे स्वभाव से । विक्रिया से उत्पन्न हुए विमान विनश्वर होते है व स्वभाव से उत्पन्न हुए विमान रम्य, नित्य व अविनश्वर होते है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वाभाविक दुःख – Svaabhaavika Dikha. Natural pain or troubles (according to Karmic nature). दुःख के 4 भेदो मे एक भेद। क्षुधादि से उत्पन्न होने वाले दुख स्वाभाविक दुःख है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वाभाविक क्रिया – Svaabhaavika Kriyaa. Natural activities of matter. स्वतः अनादिसिद्व सत् द्रव्य मे परिणमनशीलता के कारण होने वाले दो क्रियाओ मे एक क्रिया। शुद्व या बंध रहित जीव व पुद्गल द्र्रव्य की किं्रया स्वाभाविक क्रिया है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वाभाविक आनंद – Svaabhaavika Aanamda. Supreme natural bliss, supreme pleasure. निश्चत मोक्षमार्ग के अनेक नामो मे एक नाम, समस्त विकल्पो से रहित परम समाधि से उत्पन्न होने वाला सुख।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वानुभूत्यावरण – Svaanubhuutyaavarana. An obscuring Karma of self realization. स्वानुभूति (सम्यक्त्व) पर आवरण करने वाला अर्थात् नही प्रकट होने देने वाला कर्म।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वानुभूति – Svaanubhuuti. Self realization or intuition. आत्मानुभूति। आत्मा का अनुभव या ज्ञान जो सम्यक्त्व स्वरुप है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वानुंभव दर्पण – Svaanubhava Darpana. Name of a treatise written by Acharya Yogendudev. आचार्य योगेन्दुदेव (ई.श. 6) द्वारा विरचित अध्यात्म विषयक प्राकृत गाथाबद्व ग्रथ। इसमे 109 गाथाएॅ है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वानुंभव – Svaanubhava. Spiritual realization or intuition. आत्मानुभव। आत्मसुख का वेदन ही स्वानुभव है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वाधीन सुख – Svaadhiina Sukha. Supreme bliss. स्ंसार के समस्त विषय-कषायोे की रहितता से प्राप्त सुख। यह सुख सिद्वो मे पूर्णतः प्रगट होता है।