साक्षर शब्द!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] साक्षर शब्द – Sakshara Sabda. Syllabary language. मनुष्यों की भाषा साक्षरी तथा पशु-पक्षियो की निरक्षरी होती है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] साक्षर शब्द – Sakshara Sabda. Syllabary language. मनुष्यों की भाषा साक्षरी तथा पशु-पक्षियो की निरक्षरी होती है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] साकेता – Saaketaa. Another name of Ayodhya (birth place of lord Adinath, Ajitnath, Abhinandannath, Sumatinath & Anantnath). भरत क्षेत्र की एक नगरी। अपरनाम अयोध्या। तीर्थकर आदिनाथ अजितनाथ, अभिनंदननाथ, सुमतिनाथ, अनंतनाथ की जन्म नगरीं।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] साकार स्थापना – Saakaara Sthaapanaa. If the representative and the represented are similar in fiqure, then such installation are called Sakar Sthapana. तदाकार स्थापना निक्षेप, पाषाण या धातु की बनी हुई तदाकार प्रतिबिम्ब मे जिनेन्द्र भगवान की या इन्द्र की स्थापना करना तदाकार स्थापना है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] साकार मंत्रभेद – Saakaara Mantrabheda. An infraction of vow of true speech to expose the secret of other with the intention of their insult. सत्याणुव्रत का एक अतिचार, चर्चा वार्ता से अथवा मुख की आकृति आदि से दूसरे के मन की बात को जानकर इसलिए प्रकट कर देना कि उसकी बदनामी हो।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] साकार उपयोग – Saakaara Upayoga. Conscious knowledge (sensory, scriptural, clairvoyance, telepathic etc). ज्ञानोपयोग, मति, श्रुत, अवधि और मनः पर्ययज्ञान के द्वारा जोक अपने-अपने विषय का विषेष ज्ञान होता है उसे साकार उपयोग कहते है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] साकांक्ष अनशन – Saakaanksha Anasana. A type of austerity (fasting) to be observed for some specific time periods. अवधृत काल अनषन तप अर्थात् नियतकालीन उपवास। इसके शष्टम, अष्टम, द्वादष, पंद्रह दिन, एक मास, कनकावली, मुरज, सिंहनिष्क्रीडित इत्यादि जो भेद जहाॅ है, वह सब साकांक्ष अनशन तप है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सांसारिक सुख – Saansaarika Sukha. Worldly sensual pleasures. लौकिक या इन्द्रियजन्य सुख। यह सारा इन्द्रिय विषयक माना जाता है इसलिए यह केवल सुखाभास ही नही, किन्तु निःसंदेह दुखरुप ही हैं।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सांसारिक दुःख – Saansaarika Duhkha. Worldly affictions or troubles. लौकिक विषयों से उत्पन्न दुःख अर्थात् भोगसाधनात्मक भोगो का वियोग होने से जो दुःख उत्पन्न होता है। संसारी जीवों का इन्द्रिय सुख वासना जनित होने के कारण होने के कारण दुःखमय ही है क्योंकि आपत्त्किाल मे भोग व रोग चित्त मे उद्वेग करने वाले है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष – Saamvyavahaarika Pratyaksha. Right sensual apprehension or perception. प्रत्यक्ष के दो भेदो मे एक भेद जो ज्ञान इन्द्रिय और मन की सहायता से पदार्थ को एकदेष स्पष्ट जानता है। उसे सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष कहते है। यद्यपि सैद्वान्तिक दृष्टिकोण से यह परिभाषा परोक्ष ज्ञान मे धटित होती है परन्तु न्याय की भाषा मे इसे…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सांवत्सरिक प्रतिक्रमण – Saamvatsarika Pratikramana. A type of repentance carried on annually by jain saints. प्रतिक्रमण के 7 भेदो मे छठा भेद । देखे- वार्षिक प्रतिक्रमण।