प्रदेश निर्जरा!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रदेश निर्जरा- कर्म परमाणुओं का आत्मा से अलग होना। pradesa nirjara – seperation of karmic molecules from soul
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रदेश निर्जरा- कर्म परमाणुओं का आत्मा से अलग होना। pradesa nirjara – seperation of karmic molecules from soul
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रदेशत्व- द्रव्य का एक सामान्य गुण; जिस शक्ति से द्रव्य का कोई न कोई आकार बना रहता है। pradesatva – characteristics of occupancy in any matter
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रवचनी- श्रुतज्ञान का पर्यावाची नाम, जिसमें प्रकृश्ट वचन होते हैं वह प्रवचनी है। Pravacani- Another name of Shrutgyan, scriptural knowledge
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रदेश छेदना- छेदना का एक भेद। ऊध्र्व, अधः आदि प्रदेषें के द्वारा द्रव्यों का पृथक् होना। pradesa chedana – separation of matters
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रवचयनार्थ- श्रुतज्ञान का पर्यावाची नाम, जिस आगम में वचन औश्र अर्भ ये दोनों प्रकृश्ट अर्थात् निर्दोश है उस आगम की प्रवचनार्थ संज्ञा है। Pravacanartha- Another name of Shrutgyan, scriptural knowledge
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रवचनसार टीका- प्रवचनसार ग्रंथ पर 1. आचार्य अमृतचन्द्र (ई. 905-955) कृत एक संस्कृत टीका “तवप्रदीपिका”, 2. आचार्य जयसेन ( ई. 11-12 अथवा 12-13) कृत “तात्पर्यवृŸिा” संस्कृत टीका। PravacanasaraTika- A commentary book on ‘Pravachanasar’ written by acharyaAmritchandra
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रदेशघात- कर्मो का अपकर्शण या नश्ट होना। pradesaghata – destruction or karmas
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रवचनसार- आचार्य कुन्दकुन्द (ई. 127-179) कृत ज्ञान, ज्ञेत व चारित्र विशयक एक प्राकृत ग्रंथ। Pravacanasara- A prakrit treatise written by Acharya Kundkund
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रवचन सत्रिकर्ष- द्वादषंग श्रुतज्ञान; जिसमें प्रकर्श रुप से वचन सन्निकृश्ट होते है। Pravacanasannikarsa- Shrutgyan, scriptural knowledge (with all 12 parts)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रवचन वात्सल्य- 16 कारण भावना की एक भावना; साधमींजनो को देखकर स्नेह से ओतप्रोत हो जाना। PravacanaVatsalya- Affection towards co-religionists, to keep love with one another