पदक्षिणा वर्त!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पदक्षिणा वर्त- बाई ओर से दांई ओर घूमना, श्रद्धापूर्ण अभिवादन जो इस प्रका प्रदक्षिण द्वारा किया जाये। pradaksina varta – taking round of circumambulation.
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पदक्षिणा वर्त- बाई ओर से दांई ओर घूमना, श्रद्धापूर्ण अभिवादन जो इस प्रका प्रदक्षिण द्वारा किया जाये। pradaksina varta – taking round of circumambulation.
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्ररुपणा- निरुपण; सत् संख्या, बंध, उदय आदि की अपेक्षा जीवों का विषेश कथन। Prarupana- Representation, Enunciation (related to living beings)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रयोज्यता- प्रयोजन के वष, उपयोग में आने की योग्यता। Prayojyata –Applicability, aptness.
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रयोजन- ध्येय, लक्ष्य, उद्देष्य, अभिप्राय। किसी अर्थ को पाने या छोड़ने योग्य निष्चित करके उसके पाने या छोड़ने का उपाय करना। Prayojana- Purpose, object, motive, occasion
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रदक्षिणा पथ- परिक्रमा करने की वीथी या गली। pradaksina patha – circumambulatory passage
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रयोगज परिणाम- आदिमान पिरणाम का एक भेद; जो परिणाम बाह्म निमित पर आश्रित हों । जैसे- ज्ञान,शील, भावना आदि का गुरु उपदेष के निमित से होना, अचेतन मिट्टी आद का कुम्हार आदि के प्रयोग से घटरुप परिणमन आदि। PrayogajaParinama- Results of practical experiments (like knowledge gained from preaching etc)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रदक्षिणा- वन्दना करते समय गुरु, जिन और जिनग्रह की परिक्रमा करना। pradaksina – circumambulation, salutary circling.
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रयोगगति- एक प्रकार की गति; पुरुश के प्रयोग से होने वाली बाण, चक्र आदि की गति। Prayogagati- Speed of arrow, wheel etc.
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रयोगकर्म- कर्म का एक भेद; यह मन, वचन, काय प्रयोग कर्म के भेद से 3 प्रकार का होता है। Prayogakarma –A type of Karma
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रयोग- मन वचन एवं काय रुप योगों को प्रयोग शब्द से ग्रहण किया जाता है। Prayoga – Application (use), effort, experiment