स्वस्थान गोपुच्छा!
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वस्थान गोपुच्छा – Svasthaana Gopucchaa. Reducing sepuence of Karmic results (related to Krishties). विवक्षित एक संग्रह कृष्टि मे जो अंतरकृष्टियाके के विषेष धटना क्म पाया जाता है उसे स्वस्थान गोपुच्छा कहते है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वस्थान गोपुच्छा – Svasthaana Gopucchaa. Reducing sepuence of Karmic results (related to Krishties). विवक्षित एक संग्रह कृष्टि मे जो अंतरकृष्टियाके के विषेष धटना क्म पाया जाता है उसे स्वस्थान गोपुच्छा कहते है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वस्थान गुणकार – Svasthaana Gunakaara. Multiple results of karmas related to the span of Krishties. प्रत्येक संग्रहकृष्टि के अन्तर्गत प्रथम अंतरकृष्टि से अंतिम अंतरकृष्टि पर्यन्त अनुभाग अनंत-अनंतगुणा है परन्तु सर्व इस अनन्त गुणकार का प्रमाण समान है, इसे स्वस्थान गुणकार कहते है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वस्थान अप्रमत्त – Svasthaana Apramatta. The first phase of the 7th spiritual stage of development-unstable stage of meditation. सतवे गुणस्थान के दो भेदो मे प्रथम भेद। जब तक चारित्रमोहनीय की 21 प्रकृतियो के उपषमन तथा क्षपण के कार्य का प्रारम्भ नही होता, किन्तु संज्वलन के मंदोदय के कारण प्रमाद भी नही होता, केवल सामान्य…
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वस्त्री – Svastrii. Own life accepted with social customs & rituals. दैव शास्त्र गुरु को नमस्कार कर तथा अपने भाई बन्धुओ की साक्षी पूर्वक जिस कन्या के साथ विवाह किया जाता है वह विवाहित स्त्री कहलाती है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वस्तिक – Svastika. Name of Diggajendra mountain in Bhadrashal forest situated in Videh Kshetra (region). Name of summits situated at Vidyutprabh Gajdant & Ruchak mountains, name of a governing deity of maniprabh summit of Kundal mountain. विदेह क्षेत्र मे स्थित भद्रषाल मे एक दिग्गजेन्द्र पर्वत, विद्युत्प्रभ गजदत्तस्थ व रुचक पर्वतस्थ एक-एक कूट, कुण्डल पर्वतस्थ…
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वसहाय – Svasahaya. Absolutely independent. स्त्। जो स्वभाव से ही सिद्व है, इसलिये वह अनादि अनंत है स्वसहाय है, निर्विकल्प है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वसमय वक्तव्यता – Svasamaya Vaktavyataa. Pertaining to spiritual meanings. वक्तव्यता के तीन भेदो मे एक भेद। जिस शास्त्र मे स्वसमय का ही वर्णन किया जाता है उसे स्वसमय वक्तव्य कहते है और उसके भाव को अर्थात् उसमे रहने वाली विषेषता को स्वसमय वक्तव्यता कहते है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वसमय प्रवृत्ति – Svasamaya Pravrtti. Engrossment into self. स्वरुप मे चरण करना चारित्र है, स्वसमय मे प्रवृत्ति करना इसका अर्थ है। देखे-स्वसमय।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वसमय – Svasamaya. Jaina philosophy, Jaina spiritual treatises, engrossment into self, self absorption. जैन सिद्वांत, आध्यात्मिक ग्रंथ, स्वपक्ष प्रतिपादन करने वाले न्याय गं्रथ। समयसार के अनुसार पर पदार्थों से छूटकर अपने उपयोग को अपने आत्मा मे रमण करना, स्वचारित्र अथवा जो दर्षन, ज्ञान और चारित्र मे स्थिर होकर (तद्रुप होकर) रहता है वह स्वसमय…
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वसंवेद्य सुख – Svsammvedya Sukha. Spiritual bliss. अतीन्द्रिय या आत्मिक सुख। निर्विकल्प ध्यान मे स्थित परम योेगियो के रागदि के अभाव से उत्पन्न स्वसंवेद्य आत्मिक सुख है।