सर्वतोभद्र व्रत!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वतोभद्र व्रत – Sarvatobhadra Vrata. A particular procedural vow (fasting). विधि पूर्वक लघुविधि में कुल 75 उपवास एवं वृहत् विधि में कुल 196 उपवास और त्रिकाल नमस्कार मंत्र की जाप करना ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वतोभद्र व्रत – Sarvatobhadra Vrata. A particular procedural vow (fasting). विधि पूर्वक लघुविधि में कुल 75 उपवास एवं वृहत् विधि में कुल 196 उपवास और त्रिकाल नमस्कार मंत्र की जाप करना ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वतोभद्र विधान – Sarvatobhadra Vidhaana. A composition of worshipping hymn composed by Ganini Gyanmati Mataji. जैन आगम में वर्णित पाॅंच प्रकार की पूजाओं में से एक; यह सर्वतोभद्र विधान पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी द्वारा सन् 1987 में लिखित सबसे बडा विधान है। इसमें 101 पूजाएॅं है, इसको लिखने में 40 छन्दों का प्रयोग…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वतोभद्र – Sarvatobhadra. Heavenly space craft of Brahmendra, Name of cow-pan of Bharat Chakravarti (emperor). ब्रह्मेन्द्र का यान-विमाान, भगवान ऋषभदेव के 84 खन (मंजिल) ऊॅंचे महल का नाम । भरत चक्रवर्ती की गौषाला का नाम ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वतंत्र – Sarvatantra. Universally or generally accepted or approved Principles. सिद्धांत के 4 भेदोें में एक भेद; जो अर्थ सब शास्त्रों में अविरूद्धता से माना गया है उसे सर्वतंत्र सिद्धांत कहते है। अर्थात जिस बात को सर्वषास्त्रकार मानते है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वचंद्र – Sarvachandra. Name of a saint of Nandi group, the disciple of Vasumandi. न्ंदिसंघ के देषीयगण की गुर्वावली के अनुसार वसनंदि के षिष्य तथा दामनंदि के गुरू । समय-ई0 918-948 ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वघाती – Sarvaghaatee. Karmic nature causing destruction of soul’s attributes जिस कर्म के उदय से अनुजीवी गुूणों का पूर्णरूप से घात होता है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वग्रहकता – Sarvagraahakataa. The quality of knowing all (of Kevalgyan) केवलज्ञान का सब कुछ जानने रुप गुण।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वज्ञसिद्वि – Sarvagyasiddhi. Name of a book written by a saint Anantkirti. अनंतकीर्ति द्वारा रचित वृहत् तथा लधु सर्वज्ञसिद्वि ग्रंथ। समय ई.श. 8 ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वज्ञदेव – Sarvagyadeva. Omniscience (Lord Arihant, Siddha). केवली आप्; जो त्रिकालवर्ती गुण पर्यायो से संयुक्त समस्त लोक और अलोक को प्रत्यक्ष जानते है वह सर्वज्ञदेव है अर्थात् अर्हत व सिद्व।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वज्ञत्व शक्ति – Sarvagyatva Sakti. Power of omniscience. समस्त विश्व के विषेष भावों की जानने रुप से परिणमित ऐसी आत्मज्ञानमयी सर्वज्ञत्व शक्ति है।