स्थापना स्तव!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थापना स्तव – Sthaapanaa Stava. Hymning the idols of lord Arihant.जिनेन्द्र भगवान के गुणो को धारण करने वाली जिन प्रतिमओ के स्वरुप का कीर्तिन करना स्थापना स्तव है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थापना स्तव – Sthaapanaa Stava. Hymning the idols of lord Arihant.जिनेन्द्र भगवान के गुणो को धारण करने वाली जिन प्रतिमओ के स्वरुप का कीर्तिन करना स्थापना स्तव है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थापना सत्य – Sthaapanaa Satya. Ritual installation of lord arihant in artifical in artifical idols.जो अर्हन्त आदि पंच परमेष्ठी की पाषाण या धातु आदि की प्रतिमा मे स्थापना की जाती है वह स्थापना सत्य है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थापना मंगल – Sthaapanaa Mamgala. Idols of lord arihant (artifical & natural form)जिन भगवान के जो अकृत्रिम और कृत्रिम प्रतिबिम्ब है, वे सब स्थापना मंगल हे।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थापना निक्षेप – Sthaapanaa Niksepa. Installation of a real form into its artificial one.धातु, काष्ठ, पाषाण आदि की प्रतिमा तथा अन्य पदार्थों मे यह वह है इस प्रकार की कल्पना करना स्थापना निक्षेप है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थापना पूजा – Sthaapanaa puujaa. Consecrational workshop.वीतराग प्रतिमा मे अर्हन्त आदि की स्थापना करके जो पूजा की जाती है वह स्थापना पूजा है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थापना -Sthaapanaa. Installation, establishment, positioning.धारण, स्थापना, कोष्ठा, प्रतिष्ठा एकार्थवाची है। जिसके द्वारा निर्णीत रुप से अर्थ स्थापित किया जाता है। वह स्थापना है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थानांतर गमन – Sthaanaamtara Gamana. The activity of going from one place to another (by saints on getting obstacle at one food taking place).एक स्थान से उठकर अन्यत्र चले जाने योग्य अवसर, भोजन के स्थान पर यदि कीड़ा आदि तुच्छ जन्तु चलते फिरते नजर आ जाये या ऐसा ही कोई दूसरा निमित उपस्थित हो…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थानांग – Sthaanaamga. A part of scriptural knowledge (Dvadshang shrut).द्वादषंग श्रुत स्कंध का तीसरा अंग। इसमे 42000 पदो मे जीव के 10 स्थानो का वर्णन है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थान लाभ क्रिया – Sthana laabha Kriyaa. An auspicious procedural activity of initiation of one as a shravak.दीक्षान्वय की 48 क्रियाओ मे तीसरी क्रिया है। इसमे किसी पवित्र स्थान मे अष्टदल कमल अथवा समवषरण की रचना करके उपवासी को प्रतिमा के सम्मुख बैठाकर आचार्य उसके मस्तक का स्पर्श करता है और पंच नमस्कार मंत्र…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थानकवासी – Sthaanakavaasii. Name of a sect of shvetambar jains.श्वेताम्बरो मे वह आम्नाय जो मूर्ति नही पूजते है, जिसके साधु मुॅह पर पटटी रखते है।