प्रकृति सांन्तर!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति सांन्तर – Prakrti Santara. Karmic nature with momentary binding. जिन कर्म प्रकृतियों का एक समय बंध होकर द्वितीय समय में जिनका बंध विश्रांत हो जाता है वे सांतर बंधी प्रकृतियां कहलाती हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति सांन्तर – Prakrti Santara. Karmic nature with momentary binding. जिन कर्म प्रकृतियों का एक समय बंध होकर द्वितीय समय में जिनका बंध विश्रांत हो जाता है वे सांतर बंधी प्रकृतियां कहलाती हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पूर्वभाव प्रज्ञापन नय – Poorvabhaava Pragyaapana Naya. See – Poorva Pragyaapana Naya. देखें – पूर्व प्रज्ञापन नय “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति सप्रतिपक्षी – Prakrti Sapratipaksi. Karmic natures having mutual contradictions. ६२ कर्म प्रक्रतियां आपस में विरोधिपना होने से सप्रतिपक्षी कही जाती हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति सत्त्व योग्य – Prakrti Sattva yogya. Karmic nature capable of remaining in exist-ence. सत्ता योग्य कर्म प्रक्रतियां जो १४६ हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पूर्वातिपूर्व – Poorvaatipoorva. Synonym of shrutgyan ( scriptual knowledge). श्रुतज्ञान का एक पर्यायवाची नाम “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पूर्वांग – Poorvaanga. A particular long time period. काल का एक प्रमाण विशेष ” 84 लाख वर्ष प्रमाण काल “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति सत्त्व – Prakrti Sattva. Attachment of karmas with soul. अपनी स्थिति के अनुसार कर्म प्रक्रति के कर्म प्रदेशों का आत्मा प्रदेशों के साथ संलग्न रहना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पूर्व स्पर्धक – Poorva Spardhaka. Group of veriform with variated fruitional intencity of Karmic nature in wordly state. संसार अवस्था में देशघाति व सर्वघाति प्रकृतियों का जघन्य से उत्कृष्ट पर्यत्न अनुभाग रहता है, उससे युक्त स्पर्द्धक पूर्वस्पर्धक कहलाते हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति संक्रम योग्य – Prakrti Samkrama yogya. Karmic natures capable of transition. संक्रमण होने योग्य कर्म प्रक्रतियां “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पूर्व स्थिति – Poorvasthiti. First state of Karmas. कर्मों की पहली स्थिति; अंतःकरण के द्वारा निषेकों की पंक्ति दो भागों में विभाजित हो जाती है पूर्व स्थिति और उपरितन स्थिति “