पंच उदय काल!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंच उदय काल – Pancha Udaya Kaala. Five kinds of time periods related to the fruition of Karmas. कार्मण काल, मिश्र शरीर काल, शरीर पर्याप्त काल, उच्छवास काल और भाषा काल ये पंच उदय काल कहलाते है”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंच उदय काल – Pancha Udaya Kaala. Five kinds of time periods related to the fruition of Karmas. कार्मण काल, मिश्र शरीर काल, शरीर पर्याप्त काल, उच्छवास काल और भाषा काल ये पंच उदय काल कहलाते है”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भवसिद्ध – Bhavasiddha. Most virtuous and worthy being, who can attain salvation. भव्य; जो जीव सिद्ध पद की प्राप्ति के योग्य हैं उन्हें भवसिद्ध कहते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंच उदुंबर फल – Pancha Udumbara Fala. Five kinds of figs oe non-edible fruits of ficus genus class. अभक्ष्य; बड़, पीपल, उम्र, कठूमर, पाकर इनमें निरंतर त्रस जीवों की उत्पत्ति होने से अभक्ष्य है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंच इंद्रिय – Panch Indriya. Five sense organs (body, toung, nose, eyes & ears). स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षु व श्रोत “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भवसंसार – Bhavasamsara. Cycle of transmigration in different body forms. पाँच प्रकार के संसार में एक भेद; भव के निमित्त से ३२ प्रकार की पर्यायों में जन्म – मरण करने का नाम भवसंसार है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंच आचार – Pancha Aachaar. Five fold conducts. ज्ञानाचार, दर्शनाचार, तपाचार,वीर्याचार, चारित्राचार ” जिनका दिगम्बर जैन आचार्य पालन करते है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भववृक्ष – Bhavavrksa. The symbolic disposition of the mortal world in the form of a tree. संसार व्रक्ष; जहाँ प्राणी मधुविंदु के समान पञ्वेन्दिृय विषयों के क्षणिक सुख में डूबकर अनन्त संसार का बंध करता है ” ध्यानरूपी कुठार के द्वारा भाव श्रमक ही इस भव व्रक्ष का छेदन करते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंच अस्तिकाय – Pancha Astikaaya. Five kinds of universal entities. जीव, पुदगल, धर्म, अधर्म और आकाश यें पांच अस्तिकाय कहलाते है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भवविपाकी प्रक्रति – Bhavavipaki Prakrti. Maturity of Karmic nature causing different kinds of life courses (body forms). जिन कर्मो का फल मनुष्य आदि भव के रूप में होता है वे भव विपाकी प्रक्रति कहलाती हैं ” चारों आयु भव विपाकी हैं “